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सरकार ने लिया संज्ञान तो फिर से प्ले स्टोर पर आए भारत के ये ऐप

Google Play Store: गूगल ने बीते दिन भारत के कुछ ऐप डेवलपर्स पर सख़्त एक्शन लेते हुए उन्हें एंड्रॉयड प्ले स्टोर से हटा दिया था. दरअसल, गूगल का ने कहा था कि भारत के दस ऐप्स प्ले स्टोर की बिलिंग पॉलिसी का पालन नहीं करते हैं, और इसलिए उन्हें गूगल प्ले स्टोर से हटा दिया गया है. इस मामले में अब भारत सरकार ने भी दखल दे दिया है. सरकार ने गूगल को इस समस्या का समाधान निकालने के लिए एक मीटिंग के लिए बुलाया है.

सरकार ने अपनाया कड़ा रुख

केंद्रीय मंत्री अश्विनी वैष्णव ने कहा कि सरकार ऐप्स को डीलिस्ट करने का कड़ा विरोध करती है और ऐसा नहीं होने देगी. पीटीआई ने वैष्णव के हवाले से अपनी रिपोर्ट में जानकारी दी है कि, “सरकार ने गूगल द्वारा प्ले स्टोर से कुछ ऐप्स को हटाने पर कड़ा रुख अपनाया है. हम ऐप्स को डीलिस्ट करने की अनुमति नहीं देंगे.”

गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट जारी करने के बाद 1 मार्च 2024 से भारत की 10 कंपनियों के लोकप्रिय ऐप्स को प्ले स्टोर से हटा दिया. इन ऐप्स में मैट्रिमोनी ऐप्स समेत भारत के कई लोकप्रिय ऐप्स का नाम शामिल है. गूगल ने Kuku FM, Bharat Matrimony, Shaadi.com, Naukri.com, 99 acres, Truly Madly, Quack Quack, Stage, ALTT (Alt Balaji) को प्ले स्टोर से रिमूव कर दिया था.

कई ऐप्स की हुई वापसी

हालांकि, भारत सरकार के रिएक्शन के बाद कुछ ऐप्स दोबारा से प्ले स्टोर पर दिखाई दे रहे हैं. हमने इस ख़बर को लिखे जाने तक गूगल प्ले स्टोर से रिमूव किए गए इन सभी ऐप को चेक किया तो पाया कि Shaadi.com, Naukri.Com और 99acers के ऐप को दोबारा से प्ले स्टोर पर लिस्टेड कर दिया गया, जबकि बाकी सभी ऐप्स अभी तक गूगल प्ले स्टोर पर उपलब्ध नहीं हैं.

अब देखना होगा कि गूगल बाकी ऐप्स को भारत सरकार के साथ होने वाली मीटिंग से पहले प्ले स्टोर पर वापस लिस्टेड करता है या नहीं. आपको बता दें कि सरकार ने आने वाले सोमवार को गूगल के साथ मीटिंग फिक्स की है. अब देखना होगा कि गूगल और भारतीय ऐप्स के बीच में चल रहे इस विवाद का क्या हल निकलता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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