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भारत के कितने लोग इंटरनेट का इस्तेमाल नहीं करते हैं?

Internet Users in India: भारत में इंटरनेट यूज़ करने वाले लोगों की संख्या दिन-प्रतिदिन तेजी से बढ़ती जा रही है. पिछले करीब एक दशक में इंटरनेट यूज़र्स की संख्या में काफी बड़ा उछाल देखने को मिला है. भारत में पहले 2जी, 3जी, 4जी और अब 5जी सर्विस भी शुरू हो चुकी है. साल 2024 में भारत के करोडों टेलीकॉम यूज़र्स 4जी सर्विस छोड़कर 5जी सर्विस का इस्तेमाल करना शुरू कर चुके हैं, क्योंकि उन्हें अब 4जी इंटरनेट की स्पीड भी कम लगने लगी है, लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस वक्त भी भारत के कितने लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं है? एक रिपोर्ट के मुताबिक भारत की लगभग आधी आबादी के पास आज भी इंटरनेट एक्सेस नहीं है. आइए हम आपको इससे जुड़े कुछ रोचक फैक्ट्स बताते हैं, जिसे जानने के बाद आप खुद हैरान हो सकते हैं.

कितने करोड़ भारतीयों के पास इंटरनेट नहीं है?

IAMAI यानी इंटरनेट एंड मोबाइल एसोसिएशन ऑफ इंडिया और Kantar ने मिलकर एक स्टडी की है और उसके आधार पर एक रिपोर्ट तैयार की है. इस रिपोर्ट के मुताबिक भारतीय आबादी के 45% लोगों के पास आज भी इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है. इससे संख्या में समझें तो साल 2023 तक में भारत में रहने वाले कुल आबादी में से 665 मिलियन यानी करीब 66.50 करोड़ लोगों के पास आज भी इंटरनेट की सुविधा उपलब्ध नहीं है.

इस रिपोर्ट में नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का डेटा दिखाया गया है. रिपोर्ट के मुताबिक साल 2021 में भारत के 52% लोग यानी करीब 76.20 करोड़ लोग इंटरनेट सुविधा का इस्तेमाल नहीं करते थे. वहीं, साल 2022 की बात करें तो उस साल में यह आंकड़ा घटकर 48% तक पहुंचा, और तब तक भी 71.40 करोड़ लोगों के पास इंटरनेट की सुविधा नहीं थी.

अब साल 2023 में यही आंकड़ा 45% तक पहुंचा है, जब भारत के 66.50 करोड़ लोग नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स हैं. पिछले तीन सालों के इन आंकड़ों को देखकर समझ आता है कि साल दर साल धीरे-धीरे इंटरनेट यूज़ करने वाले लोगों की संख्या में बढ़ोतरी होती जा रही है. नॉन-एक्टिव यूज़र्स की संख्या घटने का दर करीब 3-4 प्रतिशत प्रति साल है.

इंटरनेट इस्तेमाल ना करने के क्या कारण हैं?

IAMAI और Kantar की इस रिपोर्ट में बताया गया कि भारत के गांव में रहने वाले करीब आधे लोग इंटरनेट का यूज़ नहीं करते हैं. इंटरनेट का इस्तेमाल ना करने के कारण काफी अलग-अलग हैं. आइए हम आपको सभी कारणों के बारे में बताते हैं.

शहरी और ग्रामीण दोनों क्षेत्रों में रहने वाले 23% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का मानना है कि, ‘इंटरनेट को समझना और यूज़ करना काफी मुश्किल है.’

  • 22% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘उन्हें इंटरनेट से होने वाले फायदों की जानकारी नहीं है.’
  • 22% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘उन्हें इंटरनेट इस्तेमाल करने की कोई रुचि नहीं है.’
  • 21% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘उन्हें इंटरनेट का इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है.’
  • 17% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘वो इंटरनेट का खर्चा नहीं उठा सकते, उनके लिए यह काफी महंगा है.’
  • 16% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का मानना है कि, ‘उनके लिए इंटरनेट काफी कंफ्यूज़िग है.’
  • 16% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘उनके पास घर में उनका अपना डिवाइस जैसे मोबाइल या कंप्यूटर नहीं है.’
  • 13% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का कहना है कि, ‘इंटरनेट पर मेरे लिए कुछ भी दिलचस्प नहीं है.’
  • 13% नॉन-एक्टिव इंटरनेट यूज़र्स का मानना है कि, ‘यह काफी टाइम खर्च करता है, और उनके पास इतना फालतू टाइम नहीं है.’

इंटरनेट इस्तेमाल करने वाले लोगों की संंख्या कितनी है?

हालांकि, अगर पूरे भारत में इंटरनेट के एक्टिव यूज़र्स की संख्या पर गौर करें तो ये दिन-प्रतिदिन बढ़ती जा रही है और रोज नए रिकॉर्ड भी बना रही है. 2023 तक भारत में इंटरनेट यूज़ करने वाले लोगों की संख्या 800 मिलियन यानी 80 करोड़ के भी पार पहुंच गई है. इस रिपोर्ट के मुताबिक 2023 तक भारत में 820 मिलियन यानी करीब 82 करोड़ लोग इंटरनेट का इस्तेमाल कर रहे हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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