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इस पॉपुलर ऐप को जल्द बंद करने वाली है गूगल, आप भी करते हैं यूज तो ऐसे ट्रांसफर कीजिए डेटा

अगर आप गूगल पॉडकास्ट का इस्तेमाल फिलहाल अपने पसंदीदा शोज को सुनने के लिए करते हैं तो आपके लिए एक बुरी खबर है. दरअसल, कंपनी 2 अप्रैल 2024 से अपनी इस सर्विस को बंद करने वाली है. यानि इसके बाद आपको दूसरे ऐप्स से पॉडकास्ट को सुनना होगा. हालांकि इस सर्विस को बंद करने से पहले गूगल यूजर्स को डेटा ट्रांसफर की सुविधा दे रही है. अगर आपने कुछ गूगल पॉडकास्ट ऐप में सेव किया है तो इसे आप दूसरे पॉडकास्ट ऐप में ट्रांसफर कर सकते हैं. 

क्यों ऐप बंद कर रही कंपनी?

गूगल ने पिछले साल सितंबर में गूगल पॉडकास्ट ऐप को बंद करने की जानकारी दी थी. इस ऐप को बंद करने का एक कारण ये है कि ज्यादातर लिस्टनर्स यूट्यूब के जरिए पॉडकास्ट को सुनते हैं. एडिसन के एक सर्वेके अनुसार, अमेरिका में 23% साप्ताहिक पॉडकास्ट यूजर्स के लिए YouTube शीर्ष सेवा है जबकि Google पॉडकास्ट केवल 4% लोग यूज करते हैं. 

कंपनी ने बताया कि US में 2 अप्रैल के बाद ये ऐप काम नहीं करेगा. इसके बाद यूजर्स ऐप में नए पॉडकास्ट नहीं सुन पाएंगे. यदि आप इस डेट को मिस करते हैं  तो आप जुलाई 2024 तक अपने पॉडकास्ट डेटा को यूट्यूब या दूसरे ऐप में ट्रांसफर कर सकते हैं. 

यूट्यूब म्यूजिक में ऐसे ट्रांसफर करें डेटा 

सबसे पहले आपको गूगल पॉडकास्ट ऐप में जाकर एक्सपोर्ट सब्सक्रिप्शन पर क्लिक करना है. यहां आपको 2 ऑप्शन मिलेंगे, पहला यूट्यूब म्यूजिक और दूसरा अन्य कोई ऐप, इसमें से आपको यूट्यूब म्यूजिक ऐप को चुनना है. इसके बाद आपको यूट्यूब म्यूजिक में आकर अपनी ईमेल आईडी कन्फर्म करनी होगी. इसके बाद आपको आरएसएस फीस को ऐड करने के लिए एग्री के बटन पर क्लिक करना होगा. प्रोसेस पूरा होने के बाद आपको लाइब्रेरी के अंदर पॉडकास्ट दिखने लगेंगे.

अगर आप दूसरा ऑप्शन चुनते हैं तो आपको OPML फाइल डाउनलोड करनी होगी. इस फाइल को आप संबंधित ऐप में खोलकर डेटा को ट्रांसफर कर सकते हैं. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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