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AI और टेक्नोलॉजी में भारत वर्ल्ड लीडर बन सकता है: अश्विनी वैष्णव

Indian Technology: भारत पिछले कुछ सालों से वर्ल्ड टेक्नोलॉजी में काफी तेजी से आगे बढ़ रहा है. आर्टिफिशियल टेक्नोलॉजी समेत तमाम टेक्नोलॉजी में भारत का डेवलेपमेंट काफी अच्छा है. इसके बारे में बात करते हुए भारत के इलेक्ट्रोनिक्स एंड आईटी मिनिस्टर अश्विनी वैष्णव ने कहा कि भारत टेक्नोलॉजी के मामले में वर्ल्ड लीडर बन सकता है. 

टेक्नोलॉजी में भारत का भविष्य

केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्री अश्विनी वैष्णव ने बुधवार को कहा कि भारत दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का दर्जा हासिल करने के बाद आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (एआई) से लेकर सेमीकंडक्टर चिप्स तक की टेक्नोलॉजी में दुनिया का वर्ल्ड लीडर बन सकता है.

उन्होंने कहा, “कल्पना कीजिए कि जब हम दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन जाएंगे तो भारत क्या कर सकता है, हमें कितनी सारी नई चीजें करने के लिए आर्थिक रूप से कितने मजबूत होंगे. हमारी अपनी सुपरकंप्यूटिंग चिप, सेमीकंडक्टर फैब, एआई मॉडल, बुनियादी ढांचा, हर चीज अपनी होगी.”

केंद्रीय मंत्री ने क्या कहा?

आपको बता दें कि इस वक्त भारत की राजधानी दिल्ली में फिनटेक फेस्टिवल इंडिया 2024 चल रहा है, और भारत के आईटी मिनिस्टर इसी इवेंट को संबोधित करने गए थे. भारत इस वक्त दुनिया की पांचवीं सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है, और 2027 तक दुनिया की तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बन सकती है. वैष्णव ने कहा कि आईएमएफ (IMF), विश्व बैंक (World Bank), जेफ्रीज़ (Jeffries) आदि जैसे अंतरराष्ट्रीय संगठनों के सकारात्मक दृष्टिकोण के साथ, ग्रोथ इंजन के मामले में अब दुनियाभर में भारत की चर्चा एक ब्राइट स्पॉट के रूप में हो रही है.

केंद्रीय मंत्री ने आगे कहा कि, “देश पिछले 10 सालों में 98% मोबाइल फोन आयात करने से लेकर लगभग 99% मोबाइल फोन स्थानीय रूप से निर्मित होने तक का विकास कर चुका है. इसके अलावा भारत में पिछले साल 11 अरब डॉलर का इलेक्ट्रॉनिक्स निर्यात हुआ, जो भविष्य में 50-60 अरब डॉलर हो सकता है.” उन्होंने कहा कि, “इलेक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग ने 10 लाख नौकरियां पैदा की हैं, जो आने वाले वर्षों में बढ़कर 25 लाख हो सकती हैं.”

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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