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EU ने Apple पर लगाया 1.8 बिलियन यूरो का तगड़ा जुर्माना, जानें कारण

Apple Music: यूरोपीय संघ द्वारा एप्पल पर 1.8 बिलियन यूरो यानी करीब 1.95 बिलियन डॉलर का जुर्माना लगाया गया है. भारतीय रुपये में यह रकम करीब 16,168 करोड़ रुपये से ज्यादा होती है. एप्पल पर यह जुर्माना इसलिए लगाया गया है, क्योंकि एक जांच में पाया गया कि स्पॉटिफाई जैसी म्यूज़िक स्ट्रीमिंग सर्विस से उनकी कंप्टीशन काफी सीमित था.

एप्पल पर लगाया गया यह जुर्माना उम्मीद के मुताबिक 4 गुना ज्यादा है, क्योंकि यूरोपिय संघ यह दिखाने का प्रयास करता है कि वह उन टेक कंपनियों पर कड़ी कार्रवाई करेगा जो ऑनलाइन सर्विस के लिए बाजार में अपनी अच्छी स्थिति होने का दुरुपयोग करते हैं.

एप्पल पर लगा बहुत बड़ा जुर्माना

यूरोपियन कंप्टीशन कमिशनर, मार्ग्रेथ वेस्टेगर ने कहा कि छोटा जुर्माना पार्किंग जुर्माने के बराबर से ज्यादा कुछ नहीं होगा जबकि 1.8 बिलियन यूरो का डिजाइन इसलिए तैयार किया गया है ताकि दोबारा एप्पल या उनकी जैसी कंपनी ऐसी चीजों को ना दोहराए.

उन्होंने कहा, “मुझे लगता है कि यह देखना काफी महत्वपूर्ण है कि अगर कोई प्रभावशाली कंपनी कुछ अवैध करती है, तो उसे दंडित किया जाएगा. हम ऐसे मामलों में अपना संकल्प दिखाना चाहते हैं.” उन्होंने आगे कहा कि, “एप्पल की इन प्रतिस्पर्धा-विरोधी नियमों  के कारण आम लोगों को म्यूज़िक स्ट्रीमिंग सर्विस के लिए जरूरत से ज्यादा पैसों का भुगतान करना पड़ा.”

ग्लोबल टर्नओवर का 0.5% 

उन्होंने आगे कहा कि, “एप्पल के नियमों से ग्राहकों को नुकसान हुआ. महत्वपूर्ण जानकारी को रोक दिया गया ताकि ग्राहक सभी जानकारियों के साथ उपयोग न कर सकें या सूचित विकल्प न चुन सकें. इसी वजह से कुछ ग्राहकों ने अधिक भुगतान किया होगा क्योंकि उन्हें पता नहीं था कि ऐप के बाहर सदस्यता लेने पर उन्हें कम भुगतान करना पड़ सकता है.” उन्होंने बताया कि यह जुर्माना एप्पल के वैश्विक कारोबार का 0.5% हिस्सा है.

दुनिया की सबसे बड़ी संगीत स्ट्रीमिंग सेवा स्पॉटिफाई (Spotify) ने तर्क दिया है कि प्रतिबंधों से एप्पल की अपनी म्यूजिक स्ट्रीमिंग सर्विस Apple Music को फायदा होता है. स्पॉटिफाई समेत ऐसे कई अन्य म्यूजिक प्लेटफॉर्म्स ने हमेशा ही एप्पल के ऐप स्टोर की आलोचनाएं की हैं. उनका कहना रहता है कि ऐप और इन-ऐप खरीदारी पर 30% शुल्क लगाकर वो हमेशा कंप्टीशन को दबा देते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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