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Maidaan-Bade Miyan Chote Miyan Day 5 Early Estimates: बॉलीवुड सुपरस्टार अजय देवगन स्टारर ‘मैदान’ और अक्षय कुमार-टाइगर श्रॉफ स्टारर फिल्म ‘बड़े मियां छोटे मियां’ की रिलीज को 5 दिन हो चुके हैं। इसके साथ ही दोनों ही फिल्में पहला वीकेंड पार कर सोमवार का दिन भी सिनेमाघरों में पूरा कर चुकी हैं। इन 5 दिनों में दोनों ही फिल्में बॉक्स ऑफिस पर अपनी रफ्तार से आगे बढ़ रही हैं। ठीकठाक पहला वीकेंड गुजारने के बाद दोनों ही फिल्मों के लिए परीक्षा की घड़ी पहला सोमवार रहा। फर्स्ट मंडे इन दोनों ही फिल्मों ने बॉक्स ऑफिस पर अपना दमखम दिखाते हुए खाते में कुल कितनी रकम जोड़ी? आइए इस खास रिपोर्ट में बताते हैं।

पहले सोमवार इतनी हुई ‘मैदान’ की कमाई

सुपरस्टार अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ के लिए पहला सोमवार चुनौती से भरा रहा। अच्छे वर्ड्स ऑफ माउथ मिलने के बावजूद अजय देवगन की इस फिल्म को सिनेमाघरों में दर्शकों की भीड़ जुटाने में मुश्किल आई है। एंटरटेनमेंट न्यूज की दुनिया में सामने आई सैक्निल्क.कॉम की लेटेस्ट रिपोर्ट की मानें तो फिल्म ने पहले सोमवार अपने खाते में करीब 1.50 करोड़ रुपये जोड़े हैं। ये आंकड़े उम्मीद से काफी कम हैं। पहले सोमवार के दिन फिल्म की कमाई में रविवार की तुलना में करीब 76 फीसदी की गिरावट देखी गई है। इसके साथ ही फिल्म की अनुमानित कमाई की रकम अब तक करीब 23.50 करोड़ रुपये हो चुकी है।

‘बड़े मियां छोटे मियां’ ने कमा डाले इतने करोड़

जबकि सुपरस्टार अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की अपकमिंग मूवी ‘बड़े मियां छोटे मियां’ इस रेस में अजय देवगन की फिल्म ‘मैदान’ से आगे निकल गई है। सैक्निल्क.कॉम की एक रिपोर्ट के मुताबिक अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ स्टारर निर्देशक अली अब्बास जफर की मूवी ने सिनेमाघरों से 5वें दिन करीब 2.50 करोड़ रुपये का कारोबार किया है। इसके साथ ही फिल्म की अनुमानित रकम अब तक करीब 44 करोड़ रुपये पहुंच चुकी है। अक्षय कुमार और टाइगर श्रॉफ की फिल्म ने ‘मैदान’ की तुलना में सिनेमाघरों में अब तक बेहतर प्रदर्शन किया है। तो क्या आप इस फिल्म को देखने के लिए एक्साइटेड हैं। अपनी राय हमें कमेंट कर बता सकते हैं।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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