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मुख्यमंत्री के सचिव ने कार्यक्रम स्थल पर चल रही तैय्यारीयों का लिया जायजा

झारखण्ड आदिवासी महोत्सव की प्रसिद्धि और उच्च स्तर के अनेक कार्यक्रम को देखते हुए, प्रति दिन 50 हजार से अधिक प्रदेश वासियों के आने का अनुमान है, अतः सचिव महोदय ने बैठने कि व्यवस्था , और ख़राब मौसम मे भी सुचारू रूप से कार्यक्रम के आयोजन हेतु निर्देश दिए

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रांची:विश्व आदिवासी दिवस 09 अगस्त के अवसर पर रांची के जेल चौक स्थित “भगवान बिरसा मुंडा स्मृति उद्यान सह संग्रहालय” में आयोजित किए जाने वाले दो दिवसीय राष्ट्रीय स्तरीय कार्यक्रम “झारखंड आदिवासी महोत्सव-2023” की तैयारी को लेकर सूबे के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन के सचिव विनय कुमार चौबे जी ने आज अधिकारियों के साथ कार्यक्रम स्थल का जायजा लिया

कार्यक्रम की तैयारी को लेकर निरीक्षण करते हुए उन्होंने संबंधित कार्यक्रम की रुपरेखा अनुसार प्रदर्शनी, फूड कोर्ट, पार्किंग, वीआईपी लाउंज, लाइट एंड साउंड शो, फिल्म फेस्टिवल, सेमिनार आदि के लिए संबंधित पदाधिकारियों को आवश्यक व उचित दिशा-निर्देश दिए।

झारखण्ड आदिवासी महोत्सव की प्रसिद्धि और उच्च स्तर के अनेक कार्यक्रम को देखते हुए, प्रति दिन 50 हजार से अधिक प्रदेश वासियों के आने का अनुमान है, अतः सचिव महोदय ने बैठने कि व्यवस्था , और ख़राब मौसम मे भी सुचारू रूप से कार्यक्रम के आयोजन हेतु निर्देश दिए।

इस दौरान अजय नाथ झा अपर सचिव अनुसूचित जनजाति, अनुसूचित जाति, अल्पसंख्यक और पिछड़ा वर्ग कल्याण विभाग, झारखण्ड, राहुल कुमार सिन्हा उपायुक्त रांची,अन्य संबंधित उच्च पदाधिकारी एवं चयनित इवेंट कंपनी “Axis Communications” दिल्ली के पदाधिकारी भी उपस्थित थे।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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