टैकनोलजी

ChatGPT फिर हुआ डाउन, लाखों यूजर्स को हो रही परेशानी

OpenAI के ChatGPT को लगातार दूसरे दिन आउटरेज का सामना करना पड़ रहा है. चैटजीपीटी फिर से डाउन हो गया है. बीती रात लगभग 12 बजे भी OpenAi के चैटबॉट को इन समस्याओं का सामना करना पड़ा था. इस आउटरेज के कारण चैटजीपीटी प्लस और मुफ्त वाले वर्जन यूज करने वाले यूजर्स ने शिकायत की. वहीं अब दोबारा ऐसी समस्याओं का सामना करना पड़ा है. चैटजीपीटी का इस्तेमाल करने के दौरान लोगों को इस तरह की परेशानी का सामना करना पड़ रहा है.

दो दिनों में दूसरी बार आई समस्या

दो दिनों में यह दूसरी बार है जब ये समस्या आई है. रिपोर्ट्स के अनुसार, मंगलवार को साइट को नौ मिनट के लिए बड़ी रुकावट और लगभग एक घंटे के लिए आंशिक रुकावट का सामना करना पड़ा. वहीं, बुधवार को भी कई यूजर्स को इस परेशानी का सामना करना पड़ा है. बता दं कि चैटजीपीटी को लाखों यूजर्स यूज करते हैं. ये लोगों के सवालों का चुटकियां में जवाब देता है और उनकी परेशानी को दूर करता है.

इस हफ्ते खबरों में रहा है ओपनएआई 

बता दें कि ओपनएआई के लिए यह सप्ताह बहुत ही खराब रहा है. सेवा की विश्वसनीयता संबंधी समस्याओं के अलावा, कंपनी पर अपने नए वॉयस मॉडल के लिए अभिनेत्री स्कारलेट जोहानसन की आवाज़ की नकल करने का भी आरोप लगाया गया है. 

एक्ट्रेस ने किया ये दावा

उन्होंने दावा किया कि पिछले साल चैटजीपीटी सेवा के लिए आवाज उठाने के लिए ओपनएआई के सीईओ सैम ऑल्टमैन ने उनसे संपर्क किया था, लेकिन उन्होंने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया. उन्होंने कहा कि उन्हें इस महीने की जीपीटी-40 की रिलीज से दो दिन पहले पुनर्विचार करने के लिए कहा गया था, जिसमें एक नए “स्काई” आवाज मॉडल का प्रदर्शन शामिल था जो एक्ट्रेस की आवाज की तरह ही लगता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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