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शेरा से लेकर जागीर तक, ओटीटी पर धमाल मचा रही हैं ये सी ग्रेड फिल्में

गुंडा – ये फिल्म एक कुली के बदले की कहानी पर आधारित है. इस फिल्म में एक कुली के परिवार को माफिया डॉन खत्म कर देता है और बदले की ये कहानी इन दिनों ओटीटी पर दर्शकों को खासा लुभा रही है.

द एडवेंचर्स ऑफ रॉबिनहुड एंड बैंडिट्स - इस फिल्म में रॉबिन हुड की जिंदगी की कहानी को दिखाया गया है. लेकिन फिल्म में जिस अंदाज में रॉबिन हुड का चित्रण किया गया है वो खासा बुरा है.

द एडवेंचर्स ऑफ रॉबिनहुड एंड बैंडिट्स – इस फिल्म में रॉबिन हुड की जिंदगी की कहानी को दिखाया गया है. लेकिन फिल्म में जिस अंदाज में रॉबिन हुड का चित्रण किया गया है वो खासा बुरा है.

अंधेरी रात में, दिया तेरे हाथ में - बेहद अटपटे टाइटल वाली इस फिल्म में दादा कोंडके ने एक अहम किरदार निभाया था. अपने नाम को लेकर काफी विवादों में घिरी इस फिल्म को भी दर्शक ओटीटी पर काफी बिंजवॉच कर रहे हैं.

अंधेरी रात में, दिया तेरे हाथ में – बेहद अटपटे टाइटल वाली इस फिल्म में दादा कोंडके ने एक अहम किरदार निभाया था. अपने नाम को लेकर काफी विवादों में घिरी इस फिल्म को भी दर्शक ओटीटी पर काफी बिंजवॉच कर रहे हैं.

लोहा - इस फिल्म की कहानी एक क्राइम लोर्ड के खिलाफ दो पूर्व अफसरों की लड़ाई पर आधारित है. इस अपराधी का खात्मा करने के लिए ये दोनों अफसर टीम बनाते हैं और पूरा मिशन चलाकर ताकतवर अपराधी के खात्मे तक लड़ाई लड़ते हैं.

लोहा – इस फिल्म की कहानी एक क्राइम लोर्ड के खिलाफ दो पूर्व अफसरों की लड़ाई पर आधारित है. इस अपराधी का खात्मा करने के लिए ये दोनों अफसर टीम बनाते हैं और पूरा मिशन चलाकर ताकतवर अपराधी के खात्मे तक लड़ाई लड़ते हैं.

शेरा- मिथुन चक्रवर्ती की इस फिल्म को लोग ओटीटी पर खासा पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म में मिथुन का किरदार अपनी बहन की हत्या का बदला लेने के लिए तमाम हदें पार कर देता है.

शेरा- मिथुन चक्रवर्ती की इस फिल्म को लोग ओटीटी पर खासा पसंद कर रहे हैं. इस फिल्म में मिथुन का किरदार अपनी बहन की हत्या का बदला लेने के लिए तमाम हदें पार कर देता है.

जागीर - डकैतों के जीवन पर आधारित इस फिल्म में धर्मेंद्र ने मुख्य किरदार निभाया है. शुरुआत में पुलिस अफसर बने धर्मेंद्र पर झूठे आरोप लगते हैं तो वो एक सचमुच के डकैत बनकर बुरे लोगों का खात्मा करने में लग जाते हैं.

जागीर – डकैतों के जीवन पर आधारित इस फिल्म में धर्मेंद्र ने मुख्य किरदार निभाया है. शुरुआत में पुलिस अफसर बने धर्मेंद्र पर झूठे आरोप लगते हैं तो वो एक सचमुच के डकैत बनकर बुरे लोगों का खात्मा करने में लग जाते हैं.

गोल्ड आइज सीक्रेट एजेंट 007 - ये फिल्म हिंदी सिनेमा से लो बजट जेम्स बॉन्ड की कहानी कही जा सकती है. इस फिल्म में एक सीक्रेट एजेंट बेहद कीमती माइक्रो फिल्म को ढूंढने के लिए मिशन पर जाता है. फिल्म कई दिलचस्प मोड़ से गुजरती है.

गोल्ड आइज सीक्रेट एजेंट 007 – ये फिल्म हिंदी सिनेमा से लो बजट जेम्स बॉन्ड की कहानी कही जा सकती है. इस फिल्म में एक सीक्रेट एजेंट बेहद कीमती माइक्रो फिल्म को ढूंढने के लिए मिशन पर जाता है. फिल्म कई दिलचस्प मोड़ से गुजरती है.

Published at : 05 Mar 2024 09:56 PM (IST)

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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