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AC या कूलर, गर्मियों में सेहत के लिए किसे चलाना है ज्यादा बेहतर?

What is Best Choice Bw AC and Cooler: गर्मियां बढ़ने के बाद लोग अपने घरों को ठंडा रखने के लिए एयर कूलर या एयर कंडीशनर खरीदने की सोचते हैं, लेकिन कभी-कभार ऐसा होता है कि हम इन दोनों में से एक चुनने में कन्फ्यूज्ड हो जाते हैं. आइए हम आपकी कन्फ्यूजन को दूर कर देते हैं और दोनों डिवाइस के फायदे और कमियां बताते हैं ताकि आप खुद ये फैसला ले सकें कि इन दोनों में क्या बेस्ट ऑप्शन है. 

एक एयर कूलर हवा को ठंडा करने के लिए पानी का उपयोग करता है. कूलर ठंडी हवा को कमरे में वापस भेजता है. यह एयर कंडीशनर की तुलना में आमतौर पर खरीदने और चलाने में कम खर्चीला होता है जबकि एसी धूल, एलर्जी और प्रदूषकों को हटाने के लिए हवा को फिल्टर कर सकता है.

एसी और एयर कूलर में कितना अंतर

एक एयर कूलर एयर कंडीशनर की तुलना में कम बिजली की खपत करता है. यह हवा में नमी जोड़ता है, जिससे यह शुष्क जलवायु वाली जगह के लिए एक बेस्ट ऑप्शन है. एयर कूलर का ताजी हवा को सर्कुलेट करने के लिए खुले दरवाजे और खिड़कियों के साथ इस्तेमाल किया जा सकता है. जबकि एसी ठंडे महीनों के दौरान कमरे को गर्म करने के लिए इस्तेमाल किया जा सकता है. 

एयर कूलर या एयर कंडीशनर खरीदने का फैसला आप दोनों में अंतर करके ले सकते है. यह कारकों पर भी निर्भर करता है जैसे कि कमरे का आकार, जलवायु और आपका बजट. यदि आपके पास एक छोटा कमरा है, तो एक एयर कूलर एक अच्छा विकल्प हो सकता है. हालांकि, अगर आपके पास एक बड़ा कमरा है तो एक एयर कंडीशनर अधिक प्रभावी हो सकता है. 

किसे खरीदना बेस्ट च्वॉइस?

एक एयर कूलर बड़ी जगहों को ठंडा करने में एयर कंडीशनर की तुलना में कम प्रभावी होता है. इसमें बार-बार रखरखाव की जरूरत होती है, जैसे पानी की टंकी को साफ करना और फिर से पानी भरना आदि. एलर्जी या सांस की समस्या वाले लोगों के लिए उपयुक्त नहीं है. अगर एक एसी के नुकसान के बारे में बात करें तो यह एयर कूलर से अधिक महंगा होता है. एयर कूलर की तुलना में अधिक बिजली की खपत करता है, जिससे ज्यादा बिजली का बिल आता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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