टैकनोलजी

Google Play की नीतियों को लेकर सुन्दर पिचाई कोर्ट में देंगे गवाही, कंपनी पर लगा है ये आरोप

Alphabet CEO Sundar Pichai: गूगल प्लेस्टोर की गैरकानूनी नीतियों को लेकर अल्फाबेट के मुख्य कार्यकारी अधिकारी सुंदर पिचाई को एपिक गेम्स इंक द्वारा गवाही के लिए कोर्ट में बुलाया गया है. दरअसल, 2020 में एपिक गेम्स ने गूगल प्लेस्टोर पर ये आरोप लगाया था कि कंपनी गैरकानूनी तरीके से वितरण, भुगतान और शुल्क नीतियों पर काम रही है और बाजार में कम्पटीशन को खत्म कर रही है. अब इस मामलें में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई सैन फ्रांसिस्को के संघीय अदालत में गवाही देंगे.

गूगल खत्म कर रहा कॉम्पिटिशन

गूगल पर न सिर्फ एपिक गेम्स ने केस किया है बल्कि तीन दर्जन राज्यों के अटॉर्नी जनरल, कंज्यूमर्स और मैच ग्रुप इंक द्वारा भी एकाधिकारवादी की तरह काम करने का आरोप लगाया गया है. सभी का कहना है कि कंपनी बाजार से कंपटीशन को खत्म कर अपना दबदबा कायम करना चाहती है. सैन फ्रांसिस्को संघीय अदालत में 6 नवंबर को शुरू होने वाले मुकदमे में गूगल के सीईओ सुंदर पिचाई और एपिक के सीईओ टिम स्वीनी गवाही देंगे. ते ट्रायल इस बात की जांच करेगा कि क्या Google Play की नीतियां गैरकानूनी है या नहीं.

गूगल सर्च में भी कपनी की मोनोपॉली

Google Play ट्रायल के अलावा सुंदर पिचाई को आने वाले हफ्तों में वाशिंगटन में चल रहे कोर्ट ट्रायल में भी गवाही देनी है जहां अमेरिकी न्याय विभाग ने अल्फाबेट पर वेब खोज में एकाधिकार बनाए रखने का आरोप लगाया है.  बता दें, हाल ही कंपनी ने उपभोक्ताओं और राज्य अटॉर्नी जनरल द्वारा लाई गई शिकायतों का अस्थायी रूप से निपटारा किया है जिसमें आरोप लगाया गया था कि Google Play ने एंड्रॉइड मोबाइल ऐप्लिकेशन पर अपने नियंत्रण का दुरुपयोग किया है. हालांकि अदालती दाखिलों में सौदे की शर्तों का खुलासा नहीं किया गया है. यदि समझौते को अंतिम रूप दिया जाता है तो ये व्यापक अविश्वास लड़ाई को कम कर देगा, जिससे Google को एपिक और मैच के दावों के खिलाफ बचाव करना पड़ेगा कि उसने एंड्रॉइड ऐप वितरण बाजार में प्रतिद्वंद्वियों को कुचलने के लिए एकाधिकार शक्ति का उपयोग किया था.

यह भी पढ़ें:

6/128GB स्टोरेज ऑप्शन में ढूंढ रहे हैं एक अच्छा 5G फोन तो ये रहे बेस्ट ऑप्शन

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button