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ChatGPT के टक्‍कर में उतरी चीन की कंपनी Alibaba, पेश किया अपना चैटबॉट

Alibaba unveils Tongyi Qianwen: इस साल एक के बाद एक कई कंपनियां आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस टूल को अनाउंस कर रही हैं. अब तक कई बड़ी टेक कंपनियां और नए स्टार्टअप अपने-अपने AI टूल को अनाउंस कर चुके हैं. इस बीच दुनिया के सबसे ज्यादा आबादी वाले देश चीन की सबसे बड़ी ई- कॉमर्स कंपनी अलीबाबा ग्रुप ने अपना खुद का एआई चैटबॉट टोंगी कियानवेन को पेश कर दिया है. इस AI टूल को पेश करते ही कंपनी के शेयर में 3% तक का उछाल देखा गया. नए AI टूल को पहले अलीबाबा के डिंगटॉक मैसेजिंग ऐप में इंटीग्रेट किया जाएगा जिसके बाद धीरे-धीरे कंपनी इसे अन्य सर्विसेज में भी ऐड करेगी. 

अलीबाबा ग्रुप ने अपने इस चैटबॉट को क्लाइंट के लिए भी ओपन कर दिया है. इसकी मदद से चीनी कंपनियां अपने खुद के एआई चैटबॉट पर काम कर सकती हैं और इस एआई टूल का इस्तेमाल अपने कामकाज के लिए भी कर सकती हैं. चीन की सबसे बड़ी ई- कॉमर्स कंपनी द्वारा इस चैटबॉट को लॉन्च करने के बाद ओपन एआई के चैट जीपीटी को कड़ी टक्कर मिलेगी. बता दें, चीन में चैट जीपीटी को सरकार ने बैन कर दिया था. अब लोगों को इसका विकल्प अलीबाबा ने दे दिया है.

इस AI टूल के बाद आया रिवॉल्यूशन

आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस में पिछले साल तब रिवॉल्यूशन आया जब ओपन एआई ने चैट जीपीटी को लाइव किया और महज 1 हफ्ते के भीतर इस चैटबॉट ने वो कारनामा कर दिखाया जो बड़े-बड़े टेक जॉइंट नहीं कर पाए. चैट जीपीटी के लॉन्च होने के बाद ही अलग-अलग कंपनियों ने अपने AI टूल पर काम करना शुरू किया और कई कंपनियां अब तक अपने चैटबॉट को लॉन्च कर चुकी है. गूगल भी चैट जीपीटी से डरा हुआ है और खुद के AI चैटबॉट पर काम कर रहा है. बता दें, चीन का फेमस सर्च इंजन Baidu भी अपना एआई चैटबॉट रिलीज कर चुका है.

पिछले महीने ओपन एआई ने चैट जीपीटी का नया वर्जन GPT-4 बाजार में उतारा है. नया वर्जन पहले से ज्यादा एडवांस और एक्यूरेट है. हालांकि इसका एक्सेस केवल पेड सब्सक्राइबर के पास ही है. नए वर्जन में लोग इमेज के जरिए भी सवाल-जवाब कर सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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