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जब ‘बच्चन बहू’ का टैग मिलने पर ऐश्वर्या राय ने बोल दी थी ये बात

Aishwarya Rai Bachchan: अभिषेक बच्चन और ऐश्वर्या राय बॉलीवुड की सबसे पावरफुल जोड़ी में से एक हैं. ये कपल सोशल मीडिया पर काफी चर्चा में रहता है. बच्चन परिवार की बहू ऐश्वर्या राय बच्चन बॉलीवुड की मोस्ट ब्यूटीफुल और टैलेंटेड एक्ट्रेस हैं. दुनियाभर में एक्ट्रेस के काफी फैंस हैं. ऐश्वर्या ने फिल्म इंडस्ट्री में अपने काम से तगड़ी छाप छोड़ी है. 

‘बच्चन बहू’ का टैग मिलने पर जब ऐश्वर्या राय ने किया था रिएक्ट

ऐश्वर्या राय ने बॉलीवुड इंडस्ट्री में बड़ा नाम कमाया है. लेकिन अभिषेक बच्चन संग शादी के बाद ऐश्वर्या को कई लोग ‘बच्चन बहू’ कहते हैं. ऐश्वर्या ने साल 2008 में दिए एक इंटरव्यू में खुलासा किया था कि उनको जब ‘बच्चन बहू’ टैग सुनने को मिलता है तो उन्हें कैसा लगता है. जब उनसे इंटरव्यू में पूछा गया कि क्या उन्हें लगता है कि बच्चन सरनेम की वजह से उनकी खुद की पहचान खो गई है?


इसपर एक्ट्रेस ने कहा था- ‘ये सब टैग लोगों ने दिए हैं, ताकि पढ़ने में ग्लोरियस लगे. ‘बच्चन बहू’ टैग नाम को ज्यादा ड्रामेटिक बनाता है. मैं एक आम लड़की हूं. मैं ऐश्वर्या हूं, जिसकी शादी अभिषेक बच्चन संग हुई है और यही मेरा नाम है.’ 

‘बच्चन फैमिली लंबे समय से पब्लिक की नजरों में है’

ऐश्वर्या ने आगे कहा था- ‘ये एक परसेप्शन है, क्योंकि मुझे लगता है कि बच्चन फैमिली लंबे समय से पब्लिक की नजरों में है. इसलिए अक्सर सरनेम को लेकर चर्चा होती है. अभिषेक और मैं एक दूसरे से प्यार करते हैं. हमें हमारे पेरेंट्स की ब्लेसिंग्स मिली और फिर हमने शादी रचाई.’ बता दें कि साल 2007 में ऐश्वर्या राय ने अभिषेक बच्चन संग शादी रचाई थी. कपल की शादी को 17 साल हो चुके हैं.


कपल की एक बेटी भी है, जिसका नाम आराध्या बच्चन हैं. आराध्या बच्चन परिवार के साथ-साथ फैंस की भी फेवरेट हैं. वर्कफ्रंट की बात करें तो ऐश्वर्या राय आखिरी बार मणिरत्नम की फिल्म पोन्नियन सेल्वन में नजर आईं थीं. इस फिल्म में ऐश्वर्या की एक्टिंग की खूब तारीफ हुई है. वहीं अभिषेक की बात करें तो वह घूमर में नजर आए थे. इस फिल्म में उन्होंने कोच का किरदार निभाया था. 

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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