बॉलीवुड और मनोरंजन

फ्लॉप फिल्मों का वो एक्टर जो हर रोज देता है दो ‘परीक्षाएं’, हर रोज होता है पास फिर भी नहीं बन पा रहा सुपरस्टार

स्टारकिड्स और नेपोटिजम की बहस को अगर एक तरफ रख दें तो सबसे जरूरी हो जाता है बॉलीवुड की इस हस्ती के बारे में बात करना. बात इसलिए भी करना क्योंकि इन्हें वैसा स्टारडम नहीं मिला, जैसा इनके समकालीन और इनके बाद आए एक्टर्स को मिला. जबकि ये बॉलीवुड के सबसे बड़े अभिनेताओं में से एक के बेटे हैं.

दर्शकों ने इन्हें कभी सुपरस्टार की रेस वाली लाइन पर देखा ही नहीं. इनके पास एक नहीं कई-कई फ्लॉप्स हैं.हिट फिल्मों की गिनती बस उंगलियों में गिनी जा सकती है. बॉलीवुड में 24 साल बिताने के बाद भी इस एक्टर को न तो वो फेम मिला और न ही वो नेम जिसके वो हकदार हैं. इनका भाग्य ही खराब था या कुछ और कहें कि इनकी पहली फिल्म बहुत बड़ी होने के बावजूद फ्लॉप रही.

स्टोरी का इंट्रो पढ़कर अगर आपको लग रहा है कि यहां पर किसी बॉलीवुड एक्टर को नेगेटिव तरीके से क्रिटिसाइज किया जा रहा है, तो रुकिए क्योंकि यहां उनके कद के बारे में पॉजिटव तरीके से बात हो रही है. इनकी बेहतरीन फिल्में भी फ्लॉप होती रहीं. लेकिन, आज भी कुछ ऐसा है इनके व्यक्तित्व और एक्टिंग स्किल में कि इन्हें बॉलीवुड के सबसे बेहतरीन अभिनेताओं की लिस्ट में शुमार किया जाता है. 5 फरवरी को उनका बर्थडे है तो उनका ये अलग रूप देखना और पहचानना भी जरूरी है.


कौन हैं वो जो स्टार से सुपरस्टार के बीच की दूरी में फंसे हुए हैं?
इस हस्ती का नाम अभिषेक बच्चन है. इन्हें एक साथ दो-दो परीक्षाएं देनी पड़ती हैं. हर बार जबसे वो फिल्मी दुनिया का हिस्सा बने तबसे हर फिल्म की रिलीज के साथ ही उन्हें उस परीक्षा से तो गुजरना ही पड़ता है जो हर एक्टर देता है कि वो अपने समकालीन और बाद के एक्टर्स से एक्टिंग के लेवल पर कितने मजबूत हैं. और दूसरी लेकिन अहम परीक्षा ये भी देनी पड़ती है, कि वो अपने पापा अमिताभ के कद के सामने कहां खड़े होते हैं. बस इन्हीं परीक्षाओं में उलझे और हर बार सफल होते दिखते अभिषेक बच्चन को फिर भी फैन बेस के लिए इंतजार ही करना पड़ रहा है.

तमाचा तक मार दिया था एक महिला ने
ई टाइम्स को दिए एक इंटरव्यू में अभिषेक ने इस बात का खुलासा किया था कि उनकी फिल्म शरारत को देखने के बाद एक महिला ने उन्हें थिएटर के बाहर थप्पड़ मारा था.अभिषेक ने बताया कि उस महिला को वो फिल्म पसंद नहीं आई थी, इसी वजह से उन्होंने एक्टर को थप्पड़ जड़ दिया. साथ ही, ये भी कहा था कि वो अपने पिता का नाम खराब कर रहे हैं, उन्हें एक्टिंग छोड़ देनी चाहिए. हालांकि, 10 साल बाद जब उसी सिनेमाहॉल में उनकी बोल बच्चन रिलीज हुई तो उनका स्वागत किया गया था, क्योंकि वो खुद को बेहतरीन बताने के लिए अपनी बेहतरीन एक्टिंग का नजारा दिखा चुके थे.

क्यों सुपरस्टार न होने के बावजूद खास हैं अभिषेक बच्चन?
बॉलीवुड तीन तरह के एक्टर्स का गढ़ है. एक वो जो स्टार होते हैं जैसे सलमान खान. दूसरे वो जो सिर्फ एक्टर होते हैं जैसे मनोज वाजपेयी और पंकज त्रिपाठी. तीसरे वो जो ये दोनों होते हैं जैसे शाहरुख, आमिर और रणवीर-रणबीर, ऋतिक. अफसोस ये है कि अभिषेक बच्चन को दर्शक इनमें से किसी कैटेगरी में शामिल ही नहीं करते. लेकिन अगर क्रिटिक्स की मानें तो अभिषेक बच्चन एक बेहतरीन एक्टर हैं. बेशक उन्हें नेम-फेम उस हिसाब से न मिला हो जिसके कि वो हकदार हैं. लेकिन युवा का लल्लन और गुरू का गुरुकांत देसाई अगर तस्वीर बनकर आपके दिमाग में आता है, तो बेशक आप उनके फैन न हों लेकिन ये झुठला पाना बहुत कठिन हो जाता है कि वो बेहतरीन एक्टर हैं.

क्रिटिक्स हमेशा करते रहे हैं तारीफ
साल 2000 में आई रिफ्यूजी फ्लॉप हुई उसके बाद 2004 में आई धूम हिट हुई. इन चार सालों के बीच अभिषेक बच्चन की जितनी भी फिल्में आईं वो फ्लॉप ही रहीं. धूम में भी पूरी लाइमलाइट जॉन अब्राहम लूट ले गए. सही मायने में अभिषेक बच्चन की पहली हिट फिल्म अगर 2005 में आई बंटी और बबली को बोला जाए तो गलत नहीं होगा. लेकिन इनमें से हर फिल्म के रिव्यूज में जब भी अभिषेक बच्चन का नाम आता रहा एक्सीलेंट ही करार दिया जाता रहा. साल 2004 की नाच, उसके पहले युवा और उसके बाद ब्लफमास्टर सबमें अभिषेक बच्चन की एक्टिंग का विस्तृत वर्जन दिखा. उन्होंने अलग-अलग रोल बेहद संजीदगी से निभाए. 2007 में आई मणिरत्नम की गुरू में उन्होंने जो कुछ भी कर दिया वो किसी और एक्टर के लिए बेहद कठिन हो सकता है. इसके बाद, सरकार और सरकार राज जैसी फिल्मों में उनके ग्रे शेड कैरेक्टर्स भी क्रिटिक्स और दर्शकों को पसंद आए.

फिल्म कंपेनियन में ‘युवा’ के रिव्यू में लिखा है कि ”अभिषेक ने अपने करियर की बेस्ट परफॉर्मेंस दी है.” वहीं, फिल्म गुरू को लेकर हिंदुस्तान टाइम्स ने 2007 में लिखा था कि ”अभिषेक ने युवा के बाद अपने करियर की दूसरी बेस्ट परफॉर्मेंस दी है.”

सीनियर एक्टर्स को भी ओवरशैडो करने की रखते हैं पॉवर
युवा और बोल बच्चन जैसी फिल्मों में सबसे ज्यादा अगर किसी एक्टर ने तारीफें बटोरीं, तो वो हैं अभिषेक बच्चन. दोनों फिल्मों में अजय देवगन जैसे उम्दा कलाकार होने के बावजूद उनकी कॉमिक टाइमिंग और गंभीरता बाकी स्टारकास्ट पर हावी होती दिखी. 2014 की फिल्म हैप्पी न्यूज ईयर में लंबी स्टारकास्ट और शाहरुख खान के होने के बावजूद दर्शक सबसे ज्यादा अगर हंसे तो अभिषेक बच्चन वाले सीन्स पर ही हंसे. बोल बच्चन को लेकर अनुपमा चोपड़ा ने हिंदुस्तान टाइमस में लिखा था कि ”फिल्म की सबसे अच्छी बात अभिषेक बच्चन हैं”.

अभिषेक बच्चन अभी भी बॉलीवुड में टिके हुए हैं. उन्होंने मनमर्जियां और लूडो जैसी फिल्मों के साथ-साथ ओटीटी सीरीज ब्रीद में भी काम करके दिखाया है कि वो लंबी रेस दौड़ने वाले एक्टर हैं. उन्होंने अभी भी हार नहीं मानी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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