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करोड़ों कमाकर भी बेहद कंजूस हैं सारा अली खान, दूसरों से मांगकर चलाती हैं इंटरनेट

Sara Ali Khan Personal Life: बॉलीवुड की चुलबुली एक्ट्रेस सारा अली खान (Sara Ali Khan) इन दिनों अपनी फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ (Zara Hatke Zara Bachke) को लेकर लाइमलाइट में हैं. सारा की ये फिल्म आज यानि 2 जून को थिएटर्स में रिलीज हो चुकी है. जिसे फैंस काफी पसंद भी कर रहे हैं. इसी बीच एक्ट्रेस ने भी अपनी लाइफ का बहुत राज खोलते हुए ये बताया है कि वो बहुत ही कंजूस हैं.

सारा ने खोला अपनी लाइफ का सीक्रेट
दरअसल, हाल ही में सारा अली खान आईफा 2023 में शामिल होने के लिए अबू धाबी पहुंची थीं. जहां उन्होंने ब्रूट इंडिया से बात करते हुए बताया कि, ‘मैं रियल लाइफ में बहुत ही ज्यादा कंजूस हूं और जब में अबू धाबी आई तो मुझे अपने निर्माता दिनेश विजान का एक वॉयस नोट आया. जिसमें उन्होंने मुझसे कहा था कि रोमिंग सिर्फ 400 रुपये में आती है तो इसे ले लेना. लेकिन जब मैंने वहां पूछा कि रोमिंग के कितने चार्जेस हैं तो मुझे पता लगा कि 10 दिन के लिए 3000 रुपए लगेंगे. तो मैंने सोचा कि मैं तो यहां एक ही दिन के लिए आई हूं तो मैंने अपने हेयर ड्रेसर से हॉटस्पॉट लेकर काम चलाया.’


मां को भी 1600 रुपए के लिए लगाई थी डांट
इससे पहले विक्की कौशल ने एक प्रमोशन इवेंट में सारा को लेकर ये खुलासा किया था कि उन्होंने अपनी मां को एक तौलिया खरीदने के लिए खूब डांट लगाई थी. तब सारा ने बताया कि वो तौलिया 1600 रुपए का था. एक तौलिया के लिए इतने पैसे क्यों खर्च करने है. ऐसे तौलिये तो वैनिटी वैन में दो तीन फ्री मिल जाते हैं. वर्कफ्रंट की बात करें तो  सारा अली खान और विक्की कौशल की फिल्म ‘जरा हटके जरा बचके’ आज यानी 2 जून, 2023 को सिनेमाघरों में रिलीज हो चुकी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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