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रिलीज के 16 दिन बाद भी ‘सत्यप्रेम की कथा’ 100 करोड़ के आंकड़े से दूर

Satyaprem Ki Katha Box Office Collection Day 16: कार्तिक आर्यन और कियारा आडवाणी की फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’ ओपनिंग वीकेंड के बाद से बॉक्स ऑफिस पर डटे रहने के लिए संघर्ष कर रही है. हालांकि इस बीच फिल्म ने ग्लोबली 100 करोड़ से ज्यादा का कारोबार कर लिया है. वहीं फिल्म ने घरेलू बॉक्स ऑफिस पर भी 70 करोड़ से ज्यादा की कमाई कर ली है. हालांकि अब ‘सत्यप्रेम की कथा’ बॉक्स ऑफिस पर रेंग रही है. चलिए यहां जानते हैं फिल्म ने रिलीज के 16वे दिन यानी तीसरे शुक्रवार को कितने करोड़ का कारोबार किया.

सत्यप्रेम की कथा’ ने रिलीज के 16वें दिन कितनी कमाई की?
‘सत्यप्रेम की कथा’ में कार्तिक आर्यन और किराया आडवाणी की यूनिक लव स्टोरी दर्शकों को खूब पसंद आई. फिल्म ने ओपनिंग वीकेंड पर शानदार कलेक्शन किया और धीरे-धीरे करके इसने टिकट खिड़की पर अपनी लागत से ज्यादा कमाई कर ली है. हालांकि अब ‘सत्यप्रेम की कथा’ के कारोबार में लगातार गिरावट दर्ज की जा रही है. यूं कहिए कि अब कार्तिक-कियारा की फिल्म बॉक्स ऑफिस पर मुश्किल से सांसे ले रही है. वहीं अब फिल्म की रिलीज के 15वें दिन की कमाई के आंकड़े भी आ गए हैं.

सैकनिल्क की अर्ली ट्रेंड रिपोर्ट के मुताबिक फिल्म ‘सत्यप्रेम की कथा’ ने अपनी रिलीज के 15वें दिन यानी तीसरे शुक्रवार को 1.20 करोड़ का कलेक्शन किया है. इसी के साथ फिल्म की कुल कमाई अब 73.61 करोड़ रुपये हो गई है.

क्या वीकेंड पर 100 करोड़ का आंकड़ा छू पाएगी ‘सत्यप्रेम की कथा’
‘सत्यप्रेम की कथा’ की कमाई की रफ्तार हर दिन घट रही है. ऐसे में फिल्म के 100 करोड़ के आंकड़े को छूना मुश्किल लग रहा है. हालांकि मेकर्स को उम्मीद है कि फिल्म के कलेक्शन में वीकेंड पर एक बार फिर उछाल आएगा. ऐसे में देखने वाली बात होगी कि क्या ‘सत्यप्रेम की कथा’ 100 करोड़ के क्लब में शामिल हो पाएगी या नहीं.

कार्तिक और कियारा ‘सत्यप्रेम की कथा’ के लीड स्टार्स हैं. समीर विद्वांस के डायरेक्शन में बनी  फिल्म में सुप्रिया पाठक कपूर, गजराज राव, सिद्धार्थ रंधेरिया, अनुराधा पटेल, राजपाल यादव, निर्मित सावंत और शिखा तलसानिया ने भी अहम रोल प्ले किया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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