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प्रियंका चोपड़ा के साथ लड़ाई की खबरों को करीना कपूर ने बताया ‘बकवास’, जानें क्या है पूरा मामला

Kareena Kapoor On Catfight With Priyanka Chopra: करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा एक जमाने की टॉप एक्ट्रेसेस रही हैं और आज भी फिल्म इंडस्ट्री में दोनों की अपनी एक अलग पहचान और अहमियत है. जहां करीना ने हाल ही में अपना ओटीटी डेब्यू किया है तो वहीं प्रियंका भी हॉलीवुड में अपने हुनर का लोहा मनवा रही हैं. लेकिन कई बार ऐसे पल आए जब यह खबरें आईं कि दोनों एक्ट्रेसेस के बीच लड़ाई चल रही है और वे एक-दूसरे की शक्ल देखना भी पसंद नहीं करतीं. इस बारे में अब करीना कपूर ने खुलकर बात की है.

मिड डे को दिए एक इंटरव्यू में करीना ने कहा- ‘नहीं, नहीं, नहीं, सब बकवास है. मैंने कहा, क्या चल रहा है? लेकिन मुझे लगता है कि शायद हम सभी में वह एनर्जी थी. आप जानते हैं, किसी तरह की चीज़, जहां हम सभी खुद को साबित करना चाहते थे. करीना ने आगे कहा, 90 का दशक इससे (कैटफाइट्स) भरा हुआ था, 90 के दशक की शुरुआत हुई और 2000 में, हर कोई कैटफाइट कर रहा था.’

‘आप उन चीजों को सुनते भी नहीं हैं जो…’
‘जाने जान’ एक्ट्रेस ने आगे कहा, ‘कुछ भी बोल दो और कैटफाइट. मेरा मतलब है कि आप उन चीजों को सुनते भी नहीं हैं जो आप जानते हैं. कौन जानता है? यह एक सोच के तौर पर रहा होगा, लेकिन चीजें थोड़ी अलग हैं और अब काफी शांत हो गई हैं.’ बता दें कि करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा फिल्म ‘ऐतराज’ में एक साथ दिखाई दी थीं और ऐसी अफवाहें थीं कि इसी दौरान दोनों एक्ट्रेसेस के बीच लड़ाई हो गई थी और मामला मारपीट तक आ पहुंचा था. 

क्या था पूरा मामला?
गौरतलब है कि ऐसी अफवाहें थीं कि करण जौहर के टॉक शो ‘कॉफी विद करण’ में करीना कपूर और प्रियंका चोपड़ा के बीच बहस हो गई थी. दरअसल करीना ने प्रियंका के प्रननसिएशन पर कमेंट करते हुए पूछा था कि ये उन्होंने कहां से सीखा. इसपर जवाब देते हुए प्रियंका ने भी करीना पर तंज कस दिया था. उनन्होंने कहा था कि करीना के बॉयफ्रेंड और अब पति सैफ अली खान की वजह से उनके बोलने का तरीका ऐसा हुआ होगा. हालांकि इसके बाद भी ‘कॉफी विद करण 6’ में दोनों एक्ट्रेसेस एक बार फिर साथ नजर आई थीं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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