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अमेजन ने भारत में शुरू किया पहला फ्लोटिंग स्टोर, जानें कैसे होती है प्रोडक्ट की बिक्री और डिलिव

ई-कॉमर्स की दिग्गज अमेजन इंडिया (amazon India) ने भारत में पहला फ्लोटिंग स्टोर (amazon floating store) शुरू कर दिया है. यह अपने आप में नए तरह का स्टोर है. अमेजन इंडिया ने श्रीनगर की डल झील पर ‘आई हैव स्पेस’ प्रोग्राम के तहत देश का पहला तैरता हुआ स्टोर लॉन्च किया है. यह अमेज़न के डिलीवरी नेटवर्क को जोड़ता है. बिजनेसटुडे की खबर के मुताबिक, मुर्तजा खान काशी सेलेक टाउन नाम से एक हाउसबोट चलाते हैं, और उन्होंने डल झील और निगीन झील के आसपास अमेज़ॅन की डिलीवरी के लिए ‘आई हैव स्पेस’ पार्टनर बनने का फैसला किया है.

ग्राहकों के दरवाजे पर होगी डिलिवरीचत

‘आई हैव स्पेस’ स्टोर (I have Space store) डल झील और निगीन झील के निवासियों और कारोबारियों को सर्विस उपलब्ध कराएगा. खबर के मुताबिक, अपने अमेजन पैकेज लेने के लिए शिकारे से किनारे तक जाना पड़ता था या करीब की दुकानों पर निर्भर रहना पड़ता था. अमेजन की इस नई शुरुआत के बाद सेलेक टाउन को बेस के तौर पर इस्तेमाल करते हुए, मुर्तज़ा व्यक्तिगत रूप से हर दिन ग्राहकों के दरवाजे पर पैकेज डिलिवर करेंगे.

कंपनी को है बड़ी उम्मीद

पहला तैरता अमेजन स्टोर को ओपन करने के मौके पर अमेजन इंडिया के लॉजिस्टिक्स डायरेक्टर डॉ. करुणा शंकर पांडे ने अपने डिलिवरी नेटवर्क में इस नए तरीके के जुड़ाव पर खुशी जताई. पांडे ने कहा कि हम श्रीनगर (amazon floating store Srinagar) के डल झील पर भारत के पहले फ्लोटिंग ‘आई हैव स्पेस’ स्टोर से जुड़कर रोमांचित है. यह हमें पूरे श्रीनगर में ग्राहकों को विश्वसनीय, कुशल और तेज डिलीवरी प्रदान करने में सक्षम बनाएगा.

2 से 4 किलोमीटर के दायरे में होती है डिलिवरी

अमेजन ने ‘आई हैव स्पेस’ प्रोग्राम साल 2015 में लॉन्च किया था और यह लोकल स्टोर और व्यापार मालिकों के साथ पार्टनरशिप करके उनके स्टोर के 2 से 4 किलोमीटर के दायरे में ग्राहकों तक प्रोडक्ट पहुंचाता है. अमेजन (amazon India) का दावा है कि भारत के लगभग 420 कस्बों और शहरों में उसके 28,000 से ज्यादा पड़ोस और किराना भागीदार हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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