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अब नए रूप में दिखेंगे WhatsApp Channels, पिन करने वाला फीचर भी हो रहा रोल-आउट

WhatsApp Channel: व्हाट्सऐप अपने ऐप में लगातार बदलाव और नए फीचर्स को जोड़ता जाता है. व्हाट्सऐप दुनिया का सबसे लोकप्रिय मैसेंजिंग प्लेटफॉर्म है और इसे और भी ज्यादा लोकप्रिय इसके फीचर्स बनाते हैं. व्हाट्सऐप लगातार अंतराल में अपने ऐप में मौजूद पुराने फीचर्स को अपडेट या नए फीचर्स को रोलआउट करते रहता है, ताकि यूजर्स इस ऐप के प्रति आकर्षित रहे.

व्हाट्सऐप चैनल का नया रूप

इस बार व्हाट्सऐप ने अपने चैनल्स से जुड़ा फीचर रोलआउट करना शुरू कर दिया है. व्हाट्सऐप के बारे में अपडेट देने वाली वेबसाइट WABetaInfo के अनुसार व्हाट्सऐप ने अपने चैनल को अपडेट करना शुरू कर दिया है. व्हाट्सऐप चैनल का एक नया इंटरफेस यानी नया रूप रोलआउट किया जा रहा है, जो दिखने में भी पुराने डिजाइन से काफी अलग लगेगा.

इसके अलावा व्हाट्सऐप चैनल को पिन करने वाला फीचर भी रोलआउट होना शुरू हो चुका है. अभी तक यूजर्स व्हाट्सऐप में अपने पसंदीदा चैट बॉक्स को पिन कर सकते थे, जिसके जरिए उन्हें व्हाट्सऐप खोलने के बाद अपने पसंदीदा इंसान या ग्रुप के चैट को सर्च करने की जरूरत नहीं पड़ती है, क्योंकि वह टॉप में मौजूद रहते हैं.

पसंदीदा चैनल को कर पाएंगे पिन

इसी तरह से व्हाट्सऐप अपने चैनल को भी पिन करने वाला फीचर रोलआउट करना शुरू कर चुका है. कंपनी ने अभी तक अपने इस फीचर को एंड्रॉयड बीटा वर्ज़न के कुछ चुनिंदा यूजर्स के लिए रोलआउट किया था, लेकिन अब कंपनी ने अपने इस खास फीचर को आम यूज़र्स के लिए भी रोल आउट करना शुरू कर दिया है.

आपको बता दें कि व्हाट्सऐप यूजर्स को जल्द ही व्हाट्सऐप चैनल का नया रूप देखने को मिलेगा और उसके साथ-साथ यूज़र्स अपने पसंदीदा चैनल को पिन भी कर सकते हैं, जिसके बाद यूजर्स को अपने उस पसंदीदा चैनल का अपडेट देखने के लिए उसे सर्च नहीं करना पड़ेगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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