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जब किंग खान की ये एक्ट्रेस करना चाहती थी सुसाइड, फिर ऐसे बची जान

Actress Vidya Malavade: साल 2007 में आई शाहरुख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ बेहतरीन फिल्मों में से एक है. इस फिल्म में वुमन हॉकी टीम के शाहरुख कोच होते हैं. इन वुमन खिलाड़ियों में एक्ट्रेस विद्या मालवडे ने भी खास भूमिका निभाई थी. विद्या मालवडे ने कई फिल्में कीं लेकिन उनकी बेस्ट फिल्म ‘चक दे इंडिया’ ही रही है. इस फिल्म से ही उनको खास पहचान भी मिली.  

जब विद्या मालवडे करना चाहती थी सुसाइड

‘चक दे इंडिया’ एक्ट्रेस विद्या मालवडे आज सोशल मीडिया पर भले ही खुश दिखाई देती हो, लेकिन एक वक्त ऐसा था जब विद्या अपनी जिंदगी ही खत्म करना चाहती थीं. जी हां एक इंटरव्यू में एक्ट्रेस ने खुलासा किया कि जब उनके पहले पति अरविंद सिंह बग्गा की प्लेन क्रैश में मौत हो गई थी तो उन्होंने अपनी लाइफ को खत्म करने का फैसला कर लिया था.


प्लेन क्रैश में थी पहले पति की मौत

विद्या मालवडे ने खुलासा किया कि, ‘पति की मौत के बाद वह इस कदर डिप्रेशन में चली गई थीं उन्होंने सोच लिया था कि अगर उनके पति पास नहीं आ सकते तो वह खुद उनके पास चली जाएगी. इसके लिए मेडिकल शॉप से विद्या ने काफी सारी नींद की गोलियां खरीद ली. इसके बाद जब वह गोलियां खाने ही वाली थीं तभी उनके पापा पास आए और उन्हें हंसाने लगे. तब मैंने डिसाइड किया कि मैं अपने मम्मी-पापा को परेशान नहीं कर सकती.’


बता दें कि विद्या ने करियर की शुरुआत विक्रम भट्ट द्वारा निर्देशित ‘इंतहा’ से की थी. विद्या का जन्म 2 मार्च, 1973 को महाराष्ट्र में हुआ था. विद्या कई सालों से योगा भी सीख रही हैं. उन्हें कई बार अपनी फिटनेस फ्रीक की तस्वीरें इंस्टाग्राम पर शेयर करते हुए भी देखा गया है. विद्या मालवडे को शाहरुख खान की फिल्म ‘चक दे इंडिया’ में भी रोल प्ले करते देखा जा चुका है. 

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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