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OpenAI ने पेश किया नया Dall-E 3 AI टूल, जानिए ये आपके किस काम आएगा?

Dall-E 3 text to image tool: ओपन एआई ने बुधवार को टेक्स्ट-टू-इमेज टूल के अपने लेटेस्ट एडिशन को पेश किया. Dall-E 3 टूल टेक्स्ट प्रांप्ट के आधार पर आपके लिए बेस्ट इमेज और इसके लेबल आदि तैयार कर सकता है. इसके लिए ये टूल चैट जीपीटी की मदद लेता है. ओपन एआई ने कहा कि नया Dall-E 3 अक्टूबर में चैटजीपीटी प्लस और एंटरप्राइज ग्राहकों के लिए एपीआई के माध्यम से उपलब्ध होगा. Dall-E 3 पहले के मुकाबले फोटो के भीतर बेहतर लिखित पाठ (जैसे लेबल और संकेत) बनाने में भी सक्षम है. इससे पहले होता ये था कि सिंपल और डायरेक्ट कमांड के बाद भी टूल टेक्स्ट तैयार में संघर्ष करते थे. कंपनी का दावा है कि Dall-E 3 सूक्ष्म अनुरोधों को अत्यधिक विस्तृत और सटीक छवियों में बदल सकता है.

पहले से बेहतर सुरक्षा 

ओपनएआई ने कहा कि टूल के लेटेस्ट वर्जन में पहले के मुकाबले अधिक सुरक्षा उपाय होंगे जैसे कि हिंसक, वयस्क या घृणित सामग्री उत्पन्न करने में ये सीमित होगा. यानि इस तरह के प्रांप्ट डालने पर ये टूल आपको कोई रिजल्ट नहीं देगा और एक फ्लैश मैसेज दिखाएगा. इसके अलावा क्रिएटर्स अगर चाहें तो अपने काम को टेक्स्ट-टू-इमेज के ट्रेनिंग से बाहर रख सकते हैं. यानि अगर कोई क्रिएटर नहीं चाहता कि उसका काम AI टूल को ट्रेन करने में लिया जाए तो ऐसा वह कर सकता है.  

ओपन एआई को मिल रहा टफ कंपटीशन

टेक्स्ट-टू-इमेज एआई टूल की रेस में ओपन एआई के अलावा कई कंपनियां हैं. ओपन एआई को अलीबाबा के टोंगयी वानक्सियांग, मिडजर्नी और स्टेबिलिटी एआई से कंपटीशन मिल रहा है. सभी अपने टूल को बेस्ट आउटपुट देने के लिए तैयार कर रहे हैं. हालांकि, नए टेक्स्ट-टू-इमेज एआई टूल को लेकर कई चिंताएँ भी हैं. कुछ समय पहले वाशिंगटन डीसी की एक अदालत ने फैसला सुनाया था कि बिना किसी मानवीय इनपुट के एआई द्वारा बनाई गई फोटो को आगे इस्तेमाल अमेरिकी कानून के तहत नहीं किया जा सकता है. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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