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कुछ लोग दिनभर में 2 या 3 बार Power Bank से बैटरी चार्ज करते हैं, क्या इससे बैटरी खराब होती है? 

Power bank: स्मार्टफोन की बैटरी इसका सबसे मेन पार्ट है. यदि बैटरी डिस्चार्ज हो जाएं तो फिर स्मार्टफोन एक डिब्बा मात्र रहता है. यानि आप इसमें कुछ भी नहीं कर सकते. आजकल स्मार्टफोन में 5000 से 6000 एमएएच की बैटरी आने लगी है जिससे फोन पूरे दिन चल जाता है. हालांकि अगर आप लगातार इसमें गेमिंग या कोई दूसरा काम करते हैं तो बैटरी जल्दी भी खत्म हो सकती है. बैटरी को चार्ज करने के लिए कुछ लोग पावर बैंक का इस्तेमाल करते हैं. विशेषकर तब जब उन्हें फोन में लगातार काम करना हो. कई लोगों के मन में पावर बैंक को लेकर ये सवाल है कि क्या इसका इस्तेमाल करने से बैटरी खराब होती है? अगर दिन में एक या दो बार इससे बैटरी चार्ज की जाएं तो फोन पर कोई असर पड़ेगा? अगर हां, तो क्या? आज इस लेख के माध्यम से हम आपको इसी बारे में बताएंगे. 

क्या पावर बैंक से बैटरी चार्ज करना सेफ है?

पावर बैंक से बैटरी चार्ज करने में कोई परेशानी नहीं है और न ही इससे फोन और बैटरी पर कोई असर पड़ता है. बस शर्त ये है कि आप अच्छी क्वॉलिटी का पावर बैंक इस्तेमाल करें और इसका पावर आउटपुट मोबाइल के चार्जर जितना हो. सस्ते पावर बैंक स्मार्टफोन की बैटरी को खराब कर सकते हैं क्योकि यदि ये ज्यादा चार्ज हो जाते हैं तो ये एकदम ज्यादा पावर आउटपुट रिलीज करते हैं जो मोबाइल को नुकसान पहुंचा सकता है. महंगे या अच्छे पावर बैंक कटऑफ टेक्नोलॉजी के साथ आते हैं जो फुल चार्ज होते ही पावर सप्लाई को बंद कर देते हैं जिससे पावर बैंक ज्यादा चार्ज या ओवरलोड नहीं होता.

कितने हजार का पॉवर बैंक रहेगा बेस्ट?

आपके लिए बेस्ट क्या है ये आपका बजट तय करता है. दूसरी बात आपकी जरूरत. अगर आपको लैपटॉप और स्मार्टफोन को चार्ज करने के लिए पावर बैंक चाहिए तो फिर आपको ऐसा ही पॉवर बैंक लेना चाहिए. अगर सिर्फ स्मार्टफोन चार्ज करना है तो आपको वैसा पावर बैंक खरीदना चाहिए. आजकल बाजर में दोनों तरह के पावर बैंक उपलब्ध हैं जो अलग-अलग वॉट के साथ आते हैं. एक अच्छा पावर बैंक 2 से 3 हजार के बजट में आ जाता है जो 5v/3a, 9v/3a, 10v/5a और 12v/3a की पावर आउटपुट देता है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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