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Emergency Alert Severe: लिखे आए मैसेज को पूरी तरह करें इग्नोर, सरकार कर रही है ये टेस्टिंग

Emergency Alert : आपके मोबाइल पर अगर अचानक अजीब से आवाज आए और आपके मैसेज के इन बॉक्स में एक मैसेज रिसीव हो, तो आपको घबराने की जरूरत नहीं है. दरअसल सरकार देशभर में emergency alerts सर्विस की टेस्टिंग कर रही है, जिसके चलते बहुत से लोगों को मोबाइल पर अजीब सी आवाज के साथ एक मैसेज मिल रहा है. इस मैसेज में सरकार ने इस टेस्टिंग से जुड़ी जानकारी दी है.

भारत सरकार ने 20 जुलाई को इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम के बारे में पहली बार जानकारी दी थी, जिसमें सरकार की ओर से बताया गया था कि देशभर में प्राकृतिक आपदा या आपात स्थिति से निपटने के लिए आपातकालीन अलर्ट सिस्टम की टेस्टिंग की जाएगी. इस सिस्टम के जरिए सरकार किसी भी सूचना को पूरे देश में एक साथ प्रसाारित करेंगी. 

क्या है इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम

इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम में आपके मोबाइल पर एक अजीब सी आवाज के साथ मैसेज में उस आपात स्थिति के बारे में जानकारी मिलेगी. ये अलर्ट सिस्टम सरकार और दूरसंचार विभाग ने मिलकर तैयार किया है. जिसमें मोबाइल यूजर्स को आगामी प्राकृतिक आपदा या आपात स्थिति के बारे में सूचित किया जा सकेगा. वहीं इमरजेंसी अलर्ट से लोगों को पहले से या आपदा के दौरान सचेत करके उनकी जान बचाने में मदद मिलेगी. 

इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम की टेस्टिंग हुई शुरू

सरकार ने इमरजेंसी अलर्ट सिस्टम की टेस्टिंग शुरू कर दी है, जिसके चलते बहुत से मोबाइल यूजर्स के पास एक अजीब सी आवाज के साथ मैसेज आ रहा है. दूरसंचार विभाग के मुताबिक यह मैसेज एक इमरजेंसी ट्रायल था ताकि बाढ़ या किसी प्राकृतिक आपदा जैसी आपात स्थिति में लोगों को अलर्ट किया जा सके.

क्यों उपयोगी है यह तकनीक?

वायरलेस इमरजेंसी अलर्ट, न केवल प्राकृतिक आपदाओं जैसी स्थितियों में बल्कि युद्ध या अन्य प्रकार की आपात स्थितियों के दौरान भी उपयोगी साबित हो सकता है. यह कोविड के दौरान सूचना और चेतावनी प्रसारित करने में भी काम आ सकता था. इसे रेडियो या टीवी आपातकालीन प्रसारण के जैसे ही देखा जा सकता है, लेकिन यह स्मार्टफोन के लिए है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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