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दिलीप कुमार की बहन सईदा खान का लंबी बीमारी के बाद निधन, गम में डूबा परिवार

Dilip Kumar Sister Saeeda Died: हिंदी फिल्म इंडस्ट्री के महान एक्टर दिलीप कुमार का दो साल पहले निधन हो गया था और अब उनकी बहन ने भी इस दुनिया को अलविदा कह दिया है. दिलीप कुमार की बहन सईदा का निधन हो गया है जिनकी शादी फिल्म मेकर महबूब खान के बेटे इकबाल खान से हुई थी. महबूब खान ने मदर इंडिया और अंदाज जैसी फिल्मों को डायरेक्ट किया था. 

सईदा के पति इकबाल महबूब स्टूडियो के ट्रस्टी और एक मशहूर फिल्म मेकर थे. हालांकि परिवार के एक करीबी सूत्र ने ईटाइम्स को बताया उनका भी 2018 में निधन हो गया था जिसके बाद सईदा की बेटी इल्हाम और बेटे साकिब उनकी देखभाल करते थे. उनके बेटे साकिब भी अपने पिता की तरह फिल्म मेकर हैं. वहीं उनकी बेटी इल्हाम एक राइटर हैं.

भाभी सायरा ने नहीं दिया कोई रिएक्शन
सूत्रों के हवाले से खबर है कि दिलीप कुमार की बहन सईदा लंबे समय से बीमार थीं. काफी समय से बीमारी से जूझने के बाद उनका निधन हो गया. सईदा को लेकर कहा जाता है कि वे अपने भाई दिलीप के काफी करीब थीं. दूसरी तरफ सईदा के निधन पर अब तक उनकी भाभी और दिलीप कुमार की पत्नी सायरा बानो का कोई रिएक्शन सामने नहीं आया है. वे अक्सर सोशल मीडिया पर पुरानी तस्वीरें पोस्ट करती रहती हैं हालांकि अपनी ननद के निधन पर उन्होंने कोई पोस्ट शेयर नहीं की है.

सईदा ने किए थे 10 लाख रुपये डोनेट
सईदा काफी नरम दिल शख्सियत थीं. एक पुरानी रिपोर्ट के मुताबिक उन्होंने साल 2014 में अपने जीजा शौकत खान को मेहबूब स्टूडियो के श्रमिकों के कल्याण के लिए फेडरेशन ऑफ वेस्टर्न इंडिया सिने एम्प्लॉइज को 10 लाख रुपये का चेक दिया था. इस दौरान फेडरेशन के ट्रस्टी और फिल्म मेकर साजिद नाडियाडवाला भी मौजूद थे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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