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‘द कश्मीर फाइल्स’ को मिला नरगिस दत्त अवॉर्ड तो बोले अनुपम खेर, ‘अगर सारी ख्वाहिशें पूरी हो…’

National Film Awards 2023: ‘द कश्मीर फाइल्स’ को राष्ट्रीय एकता पर बेस्ट फिल्म होने को लेकर नरगिस दत्त अवॉर्ड से सम्मानित किया गया है. कश्मीरी पंडितों पर हुए जुल्म को लेकर बनी ये फिल्म दर्शकों को काफी पसंद आई थी. साल 2022 में आई इस फिल्म ने बॉक्स ऑफिस पर करोड़ों का कलेक्शन किया था. 

‘द कश्मीर फाइल्स’ को नरगिस दत्त अवॉर्ड मिलने पर फिल्म में लीड रोल निभाने वाले एक्टर अनुपम खेर ने अपनी खुशी जाहिर की है. एक्टर ने अपने इंस्टाग्राम पर फिल्म से अपनी कुछ तस्वीरें शेयर की हैं और एक लंबा सा पोस्ट लिखा है. वहीं फिल्म में नजर आने वाली एक्ट्रेस पल्लवी जोशी को भी ‘द कश्मीर फाइल्स’ के लिए बेस्ट सपोर्टिंग एक्ट्रेस के खिताब से सम्मानित किया गया है.

अनुपम खेर ने किया रिएक्ट
अनुपम खेर ने अपने इंस्टाग्राम पर 5 तस्वीरें पोस्ट की हैं जिनमें वे ‘द कश्मीर फाइल्स’ के कैरेक्टर लुक में नजर आ रहे हैं. इसके साथ उन्होंने लिखा- ‘राष्ट्रीय पुरस्कार: खुशी और गर्व है कि द कश्मीर फाइल्स ने प्रतिष्ठित और सबसे अहम नेशनल अवॉर्ड जीता. राष्ट्रीय एकता पर बेस्ट फीचर फिल्म के लिए नरगिस दत्त अवॉर्ड…. न सिर्फ एक एक्टर के तौर पर बल्कि फिल्म के कार्यकारी निर्माता के तौर पर भी मैं हमारी फिल्म को मिली इस मान्यता से बहुत खुश हूं.’


‘अगर सारी ख्वाहिशें पूरी हो जाएं…’
अनुपम खेर ने आगे लिखा- ‘अपनी एक्टिंग के लिए भी अवॉर्ड जीतना पसंद करूंगा. पर अगर सारी ख्वाहिशें पूरी हो जाएं तो आगे काम करने का मजा और हौसला कैसे आएगा. चलिए! अगली बार! हर विजेता को मेरी तरफ से हार्दिक बधाई! जय हो!’

बेस्ट एक्ट्रेस बनीं आलिय-कृति
बता दें कि नेशनल फिल्म अवॉर्ड्स में आलिया भट्ट को ‘गंगूबाई काठियावाड़ी’ के लिए और कृति सेनन को फिल्म ‘मिमी’ के लिए बेस्ट एक्ट्रेस के खिताब से सम्मानित किया गया है. वहीं साउथ सुपरस्टार अल्लू अर्जुन को फिल्म ‘पुष्पा: द राइज’ के लिए बेस्ट एक्टर का अवॉर्ड दिया गया है.

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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