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एक्ट्रेस जया प्रदा फरार घोषित, पुलिस खोजकर कोर्ट में करेगी पेश

सिनेमा की दुनिया की चर्चित अभिनेत्री और पूर्व सांसद जया प्रदा के लिए मुश्किल होने वाली है। दरअसल, कोर्ट ने जया प्रदा को फरार घोषित कर दिया है। बताते चलें कि साल 2019 के लोकसभा के चुनाव के दौरान भाजपा की प्रत्याशी रहीं जया प्रदा पर चुनाव के दौरान आचार संहिता के दो मामले रामपुर में दर्ज किए गए थे। जया प्रदा के इन मामलों की सुनवाई रामपुर की एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट में चल रही है। बताया जा रहा है कि जया प्रदा कई समन जारी होने के बावजूद पिछली कई तारीखों पर कोर्ट हाजिर नहीं हुईं थीं। इसके अलावा जया प्रदा के खिलाफ वारंट और गैर जमानती वारंट भी जारी हुई लेकिन वह कोर्ट में पेश नहीं हुईं। अब कोर्ट ने जया प्रदा को फरार घोषित कर दिया है।

जया प्रदा के 6 मार्च को कोर्ट में पेश करने के आदेश

एमपी-एमएलए स्पेशल कोर्ट ने मंगलवार को जया प्रदा को फरार घोषित किया है। कोर्ट ने जया प्रदा को फरार घोषित करने से पहले रामपुर के एसपी को कई बार पत्र लिखकर पेश करने के आदेश दिए लेकिन वह फिर भी पेश नहीं हुई थीं। कोर्ट ने जया प्रदा के खिलाफ 82 सीआरपीसी की कार्रवाई करते हुए पुलिस अधीक्षक को एक डिप्टी एसपी की अगुआई में टीम बनाकर 6 मार्च, 2024 को कोर्ट में पेश करने की हिदायत दी है। Also Read – बॉलीवुड की इन हसीनाओं को खानी पड़ी थी जेल की हवा, लिस्ट में जुड़ा Jaya Prada का नाम

जया प्रदा के खिलाफ दर्ज हैं दो मामले

रामपुर के वरिष्ठ अभियोजन अधिकारी अमरनाथ तिवारी ने बताया है, कोर्ट ने पूर्व सांसद जया प्रदा को फरार घोषित कर दिया है। उनके खिलाफ धारा 82 सीआरपीसी के तहत कार्रवाई की है। एसपी को पत्र लिखकर एक डिप्टी एसपी के नेतृत्व में टीम बनाकर जया प्रदा को गिरफ्तार कर 6 मार्च को कोर्ट में पेश करने के आदेश दिए हैं। साल 2019 में जया प्रदा के खिलाफ केमरी और स्वार थाने में आचार संहित उल्लंघन के दो मामले दर्ज हुए थे। पुलिस ने चार्जशीट कोर्ट में दाखिल की थी। स्वार में दर्ज मामले में गवाही पूरी हो चुकी है। केमरी के मामले में गवाही होनी है लेकिन जया प्रदा कोर्ट में हाजिर नहीं हो रही हैं।

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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