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IMC 2023: क्यों लोगों को पसंद आ रही है इसरो की स्टॉल? जानिए यहां इसके बारे में

IMC 2023 : इंडिया मोबाइल कांग्रेस के 7वें एडिशन की शुरुआत कल यानी 27 अक्टूबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने की. इस दौरान प्रधानमंत्री ने इसरो, जियो, एयरटेल सहित कई दूसरी स्टॉल का निरीक्षण किया और भविष्य की तकनीक की जानकारी ली. आपको बता दें इस बार इंडियन मोबाइल कांग्रेस में 400 से ज्यादा स्टार्टअप्स और 1 लाख से ज्यादा लोग जुड़ रहे हैं. जो प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से इंडियन मोबाइल कांग्रेस का हिस्सा बनेंगे. इस सबके बीच इस बार इसरो की स्टॉल काफी चर्चा में है, जिसके बारे में हम आपको यहां बताने जा रहे हैं.

इसरो के स्टॉल में क्या है खास?

इसरो ने हाल ही में गगनयान मिशन का सफल प्रक्षेपण किया है, जिसकी रिप्लिका को यहां लगाया गया है. इसके साथ ही इसरो ने इंडिया मोबाइल कांग्रेस में सैटेलाइट बेस्ड प्रोडक्ट्स का भी प्रदर्शन किया है. वहीं इसरो ने भारत मंडप में गगनयान के लॉन्च व्हीकल को भी प्रोजेक्ट किया है. जिनको देखने के लिए काफी लोग उत्सुक हैं. अगर आप भी इंडियन मोबाइल कांग्रेस के कार्यक्रम को देखना चाहते हैं तो आपको बता दें ये कार्यक्रम 27 से 29 अक्टूबर तक चलेगा.

मछुआरों के लिए खास टेक्नोलॉजी

इसके अलावा मछुआरों के लिए खास टेक्नोलॉजी बनाई गई है, जिसके जरिए आपातकालीन स्थिति में या पानी में डूबने की स्थिति में डिस्ट्रेस कॉल्स कोस्ट गार्ड तक पहुंच पाएंगे. इसके अलावा ट्रेनों की रियल टाइम मॉनिटरिंग के लिए भी नई तकनीक तैयार की गई है. फिलहाल रियल टाइम मॉनिटरिंग की तकनीक 8000 से ज्यादा ट्रेनों में इस्तेमाल की जा रही है.

इस इवेंट का उद्घाटन शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेद्र मोदी ने की थी. इस तीन दिवसीय कार्यक्रम का आयोजन दूरसंचार विभाग (DoT) और सेल्युलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COAI) द्वारा किया जा रहा है. उद्घाटन के बाद पीएम मोदी एक प्रदर्शनी में पहुंचे थे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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