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Smartphone की ये दिक्कतें होगी दूर, बस चुटकी बजाते करना होगा ये छोटा काम

SmartPhone Tips : कुछ समय पहले तक लोगों के हाथ में कीपैड वाले छोटू फोन हुआ करते थे. लेकिन, जब से स्मार्टफोन की क्रांति हुई है, सभी के हाथ में स्मार्टफोन आ गया है. जब स्मार्टफोन लॉन्च हुए थे, तो इसमें 64GB तक की स्टोरेज होती थी. फिर ये स्टोरेज 128 से 256 तक पहुंची और अब बाजार में 1TB स्टोरेज वाले फोन भी उपलब्ध हैं.

स्मार्टफोन की स्टोरेज बढ़ने के साथ इनमें आने वाली दिक्कत भी बढ़ती चली गई हैं. अगर स्मार्टफोन में कोई मामूली सी भी गड़बड़ आ जाती है, तो हजारों रुपये इसे ठीक कराने में लग जाते हैं. वहीं कई बार तो नया स्मार्टफोन तक खरीदना पड़ जाता है. इसीलिए हम यहां आपके लिए स्मार्टफोन की छोटी-छोटी 3 समस्याओं के बारे में जानकारी लेकर आए हैं, जो आपको दिखने में तो बड़ी लगती हैं. लेकिन, इनका समाधान काफी आसान है.

स्मार्टफोन का स्लो होना

ये समस्या स्मार्टफोन के साथ आम है. एक समय के बाद सभी स्मार्टफोन स्लो हो जाते हैं. इसे ठीक करने के लिए आपको बस अपने स्मार्टफोन में से गैर जरूरी ऐप्स और डाउनलोड फाइल को डिलीट करना होगा. इसके साथ ही स्मार्टफोन की मेमोरी को भी क्लियर करना होगा. ऐसा करते ही आपका स्मार्टफोन पहले के मुकाबले तेज चलना शुरू हो जाएगा.

स्मार्टफोन ओवरहीटिंग

अगर आप पूरे दिन फोन पर चिपके रहेंगे तो फोन तो गर्म होगा ही. जिस तरह हमें आराम चाहिए होता है, उसी तरह स्मार्टफोन और गैजेट्स को भी थोड़ा आराम देने की जरूरत है. इस परेशानी को कम करने के लिए आपको फोन को पावर-सेवर मोड पर डालना होगा. साथ ही स्क्रीन की ब्राइटनेस कम कर दें. बिना जरूरत के वाई-फाई और ब्लूटूथ न चलाएं. बैटरी चार्ज होते समय फोन का इस्तेमाल न करें.
 

स्मार्टफोन की बैटरी ड्रेन होना

अगर आपके स्मार्टफोन की बैटरी जल्दी खत्म हो जाती है, तो आपको अपने फोन की स्क्रीन की ब्राइटनेस को कम करनी होगी. साथ ही लोकेशन सर्विस, ब्लूटूथ, मोबाइल डाटा, जीपीएस जैसे सर्विसेज को बिना किसी काम के ऑन न रखें. काम न होने पर इसे बंद कर दें. इससे बैटरी जल्दी ड्रेन नहीं होगी.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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