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गूगल SGE से बदलने वाला है ब्राउजिंग एक्सपीरियंस, अब सीधे सर्च बार पर मिलेगी ये सुविधा 

SGE generate images in search bar: टेक कंपनियां AI को लेकर एक दूसरे से रेस कर रही है. एक कंपनी कुछ अपडेट दे रही है तो दूसरी उससे भी बड़ा अपडेट यूजर्स के लिए ला रही है. अभी तक गूगल, माइक्रोसॉफ्ट जैसी बड़ी-बड़ी टेक कंपनियां अपने AI मॉडल लॉन्च कर चुकी हैं और इनमें कई सारे नए फीचर्स भी ऐड किये गए हैं. हाल ही में गूगल ने ये घोषणा की है कि उसका सर्च जेनरेटर एक्सपीरियंस (SGE) यूजर्स को सीधे टेक्स्ट प्रॉम्प्ट से तस्वीरें बनाने का ऑप्शन देगा. यानि जिस तरह कुछ महीने पहले माइक्रोसॉफ्ट ने बिंग इमेज क्रिएटर को बिंग सर्च में शामिल कर लोगों को AI इमेजेस बनाने का ऑप्शन दिया था, ठीक ऐसा ही ऑप्शन अब गूगल SGE में भी आने वाला है.

क्या है गूगल का SGE?

जिन लोगों को नहीं पता कि गूगल का SGE क्या है तो दरअसल, ये एक AI सपोर्टेड सर्च इंजन है जो यूजर्स का ब्राउजिंग एक्सपीरियंस पहले से बेहतर AI के जरिए करता है. ये Google का एक नए प्रकार का सर्च इंजन है जो यूजर्स के प्रश्नों का अधिक व्यापक और इंफोर्मेटिव उत्तर उत्पन्न करने के लिए AI का इस्तेमाल करता है. कंपनी ने ‘सर्च’ और ‘इंटरफ़ेस’ क्षमताओं के साथ अपना SGE विकसित किया है और अपने यूजर्स के लिए अधिक इंटरैक्टिव और उपयोगी बनाने के लिए इसमें नई सुविधाएँ भी जोड़ी हैं.

कुछ समय पहले कंपनी ने SGE के माध्यम से ‘सर्च क्वेरी को समराइज’ करने का ऑप्शन यूजर्स को दिया था ताकि उन्हें कम समय में एग्जेक्ट जानकारी मिल जाये. एक अन्य अपडेट में कंपनी ने यूजर्स  को सर्च में खोजे गए वाक्य में व्याकरण और अन्य गलतियों की जांच करने का भी ऑप्शन दिया था. अब कंपनी यूजर्स को सर्च बार में AI इमेजेस बनाने का ऑप्शन दे रही है. इसके लिए आपको SGE टूल को ऑन कर क्रिएट शब्द लिखकर कोई भी क्वेरी डालनी है. जैसे खेलता हुआ बच्चा आदि. कुछ ही देर में गूगल AI की मदद से आपके लिए सर्च बार के नीचे ही AI इमेज बना देगा.

बता दें, गूगल का छवि निर्माण कंपनी के इमेजन परिवार के मॉडल द्वारा संचालित है जो Google स्लाइड और मीट में पाई जाने वाली सुविधाओं के समान है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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