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Challenge Accepted: टेक महिंद्रा के सीईओ ने कबूल किया OpenAI के सीईओ का चैलेंज, समझें क्या है म

आईटी कंपनी टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी (Tech Mahindra CEO CP Gurnani) ने ओपनएआई (OpenAI) के को-फाउंडर सैम ऑल्टमैन के चैलेंज को स्वीकार किया है. ऑल्टमैन ने हाल ही में कहा कि भारतीय कंपनियां आर्टिफिशय़ल इंटेलीजेंस (AI) के डेवलपमेंट पर अपने सिलिकॉन वैली के काउंटरपार्ट्स (समकक्षों) के साथ कॉम्पिटीशन नहीं कर सकती. सैम ऑल्टमैन (Sam Altman) फिलहाल छह देशों के दौरे पर हैं, जिसमें भारत भी शामिल है.

राजन आनंदन ने किया सवाल

खबर के मुताबिक, भारत के दौरे पर आए ऑल्टमैन (OpenAI CEO Sam Altman) से एक कार्यक्रम में भारत और दक्षिण पूर्व एशिया के पूर्व Google उपाध्यक्ष राजन आनंदन (Rajan Anandan) ने पूछा था कि क्या भारत चैटजीपीटी जैसे आर्टिफिशय़ल इंटेलीजेंस डिवाइस (AI device) की मैनुफैक्चरिंग कर सकता है. आनंदन ने पूछा था कि हमें भारत में एक लाइव इकोसिस्टम मिला है. हम खासतौर पर एआई पर फोकस कर रहे हैं, क्या ऐसे स्थान हैं जहां आप भारत के एक स्टार्टअप को आधारभूत मॉडल बनाते हुए देखते हैं, हमें इसके बारे में कैसे सोचना चाहिए, भारत की एक टीम को वास्तव में निर्माण करना शुरू करना चाहिए?

ऑल्टमैन ने दिया ये जवाब

आनंदन के सवाल पर सैम (Sam Altman)ने कहा कि जिस तरह से AI काम करता है, हम आपको बता दें, प्रशिक्षण नींव मॉडल पर हमारे साथ कॉम्पिटीशन करना पूरी तरह से निराशाजनक है, आपको कोशिश नहीं करनी चाहिए. हालांकि कुछ भी कोशिश करना आपका काम है. मुझे लगता है यह बहुत निराशाजनक है. इसी पर टेक महिंद्रा के सीईओ सीपी गुरनानी (Tech Mahindra CEO CP Gurnani) ने ऑल्टमैन के जवाब को ट्वीट किया और कहा कि चुनौती स्वीकार है.

पीएम मोदी से भी मिले ऑल्टमैन

ऑल्टमैन (OpenAI CEO Sam Altman) बीते गुरुवार को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से भी मुलाकात की और एआई (Artificial Intelligence) के इंटरनेशनल रेगुलेशन की जरूरत पर चर्चा की. भारत के लिए अपनी प्लानिंग को लेकर कहा कि वह भारत में सबसे पहले स्टार्टअप्स को फंड देंगे. ऑल्टमैन ने कहा कि वह भारत में कुछ स्टार्टअप्स से मिले थे. उन्होंने कहा कि हम भारतीय स्टार्टअप्स की काबिलियत के लिए हमेशा चकित और आभारी थे.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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