टैकनोलजी

सबसे मुश्किल परीक्षा भी पास करेगा AI, Nvidia सीईओ ने बता दिया भविष्य

Nvidia CEO Jenson Huang: सेमीकंडक्टर चिप बनाने वाली कंपनी Nvidia के सीईओ जेनसन हुआंग ने अगले पांच सालों में आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस के भविष्य को लेकर कई बड़ी बातें बताई. स्टैनफोर्ड यूनिवर्सिटी में इकॉनोमिक फोरम के दौरान आर्टिफिशयल इंटेलिजेंस को लेकर एक सवाल का जवाब देते हुए हुआंग ने कहा कि मेरा अनुमान है कि अगले पांच सालों में हम काफी अच्छा प्रदर्शन करने वाले हैं. यह सब लक्ष्य पर निर्भर करता है. 

जेनसेन हुआंग ने ये जवाब उस दौरान दिया, जब उनसे सिलिकॉन वैली के एक लक्ष्य के बारे में सवाल किया गया. सवाल यह था कि उन कम्प्यूटर्स को बनाने में कितना वक्त लगेगा, जो इंसानों की तरह सोचते हैं. इसके जवाब में जेनसन हुआंग ने कहा कि इसका जवाब काफी हद तक इस बात पर डिपेंड करता है कि लक्ष्य को कैसे परिभाषित किया गया है.  

‘अगले पांच सालों में हो सकता है पॉसिबल’

एआई लीगल बार एग्जाम जैसे टेस्ट एग्जाम पास कर सकता है, लेकिन गैस्ट्रोएंटरोलॉजी जैसे मेडिकल टेस्ट के लिए अभी भी संघर्ष करना पड़ता है. जेनसन हुआंग ने आगे कहा कि अगले पांच सालों में इन सभी एग्जाम को पास करना पॉसिबल हो सकता है.

एजीआई यानी Human Like Intelligence को लेकर उन्होंने कहा कि एजीआई अभी दूर है, क्योंकि वैज्ञानिक अभी भी इस बात पर असहमत हैं कि मानव दिमाग कैसे काम करता है और इसको कैसे डिस्क्राइब करना चाहिए. 

एनविडिया कॉरपोरेशन 2 ट्रिलियन डॉलर से ज्यादा के मार्केट कैप के साथ दुनिया की तीसरी सबसे मूल्‍यवान कंपनी है. कंपनी को ऊंचाईयों पर पहुंचाने में कंपनी के को-फाउंडर एवं सीईओ जेनसन हुआंग का बहुत बड़ा हाथ है. हुआंग आज दुनिया की सबसे अमीर व्‍यक्तियों की लिस्‍ट में 24वें नंबर पर हैं. उनकी नेट वर्थ 52.7 अरब डॉलर हो चुकी है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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