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यूट्यूब एड की नई पॉलिसी… दिखाई देंगे लंबे-लंबे विज्ञापन, सिर्फ यह है स्किप करने का तरीका

YouTube : क्या आप स्मार्ट टीवी पर यूट्यूब देखते हैं? यह सवाल हमारा इसलिए है क्योंकि स्मार्ट टीवी पर यूट्यूब देखने वालों को अब लंबे-लंबे एड देखने को मिल सकते हैं. दरअसल, गूगल ने एक ब्लॉग पोस्ट में बताया है कि स्मार्ट टीवी पर दिखाई जा रही यूट्यूब वीडियो में प्लेटफार्म लंबे विज्ञापन जोड़ना शुरू करेगा. कंपनी ने कहा है कि उन वीडियो पर 30 सेकंड का एक विज्ञापन दिखाया जाएगा. बुरी खबर तो यह है कि आप इस विज्ञापन को स्किप भी नहीं कर सकेंगे. वर्तमान में, यूट्यूब एक वीडियो पर स्किप बटन के साथ 15-सेकंड के दो विज्ञापन दिखाता है. हालांकि, वीडियो के हिसाब से विज्ञापन अलग भी हो सकता है.

फिलहाल सिर्फ मार्केट में आई न्यू पॉलिसी

इससे पहले आपको हार्ट अटैक आ जाए, हम क्लियर करना चाहेंगे कि नई विज्ञापन पॉलिसी केवल उन लोगों के लिए है जो यू.एस. में यूट्यूब कंटेंट टीवी पर देखते हैं. अन्य मार्केट में ऐसा कब किया जाएगा या नहीं किया जाएगा, इसकी कोई पुष्टि नहीं है. कहा जा रहा है कि अगर यूएस के बाजार में न्यू पॉलिसी अच्छी तरह से काम करती है तो इसे भारतीय मार्केट में भी लाया जा सकता है. 
 
आपको याद दिला दें कि भारत में, भले ही आपको 30 सेकंड का लंबा विज्ञापन देखने को न मिले, लेकिन 15 सेकंड के विज्ञापन दिखाई देते ही हैं, जो कई बार परेशान कर देते हैं. ऐसे में, आप YouTube पर उन विज्ञापनों को कैसे स्किप कर सकते हैं? चलो पता करते हैं.

YouTube पर लंबे विज्ञापनों को कैसे स्किप करें?

खैर, वर्तमान में यूट्यूब टीवी पर लंबे विज्ञापनों को स्किप करने का एकमात्र तरीका कंपनी का यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन है. इसके लिए आपको ज्यादा कीमत भी नहीं चुकानी है. अच्छी बात यह है कि सब्सक्रिप्शन के साथ आपको बहुत सारे बेनिफ्टस भी मिलते हैं, जिसमें यूट्यूब म्यूजिक और वीडियो को pip मोड में देखना आदि शामिल है. कीमत की बात की जाए तो यूट्यूब प्रीमियम सब्सक्रिप्शन की कीमत भारत में प्रति माह 129 रुपये है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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