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ट्विटर को टक्कर देने के लिए कंपनी के CEO ने लॉन्च किया Bluesky ऐप, जानिए इसमें क्या होगा

Twitter alternative Bluesky Launched: माइक्रो ब्लॉगिंग प्लेटफार्म ट्विटर के पूर्व सीईओ जैक डोर्सी ने ट्विटर को टक्कर देने के लिए ब्लू स्काई नाम का ऐप लांच किया है. जैक डोर्सी ने नवंबर 2021 में टि्वटर के सीईओ पद से इस्तीफा दिया था. जैक वही शख्स हैं जिन्होंने ट्विटर को बुलंदियों पर पहुंचाया था. ऐसे में अब ब्लू स्काई को लांच कर वो टि्वटर को कड़ी चुनौती दे सकते हैं. फिलहाल ये ऐप एपल एप स्टोर पर मौजूद है जो अभी टेस्टिंग फेस में है. जानकारी के मुताबिक, जल्द कंपनी इसे सभी लोगों के लिए लांच करेगी. इस ऐप का इंटरफेस हूबहू ट्विटर की तरह ही है और जिस तरह ट्विटर पर लोग ट्वीट, लोगों को फॉलो आदि कर पाते हैं ठीक वैसे ही ये ऐप भी काम करता है.

ब्लू स्काई इंटेलिजेंस फर्म data.ai के मुताबिक, ऐप को 17 फरवरी को पेश किया गया था जिसे अब तक 2000 से ज्यादा बार टेस्टिंग फेस में इंस्टॉल किया जा चुका है. ट्विटर जहां एक तरफ आपको “What’s happening?” पूछता है तो वहीं ये ऐप आपको  “What’s up?” कहता है. फिलहाल ऐप डेवलपिंग फेज में है जिसमें आने वाले समय में कंपनी और इंप्रूवमेंट करेगी. 

जानिए क्यों बढ़ सकती है ब्लू स्काई की पॉपुलैरिटी 

एलन मस्क ने ट्विटर को खरीदने के बाद इसके लिए पेड वेरिफिकेशन सर्विस का ऐलान किया था. लोगों को ट्विटर पर ब्लू टिक के लिए अब पैसे देने पड़ते हैं. न सिर्फ ब्लू टिक बल्कि कई सर्विसेस के लिए कंपनी ये चार्ज लेती है. हाल ही ट्विटर ने आम यूजर्स के लिए टेक्स्ट बेस्ड ऑथेंटिकेशन सिस्टम को भी खत्म किया है. यानि अब सिर्फ ट्विटर ब्लू यूज करने वाले लोग ही इस मेथड से खुद को वैलिडेट कर सकते हैं. क्योकि ब्लू स्काई फ्री है और इसे जैक डोर्सी लॉन्च कर रहे हैं इस वजह से ये एकदम लाइमलाइट हासिल कर सकता है.

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बता दें, भारत में ट्विटर ब्लू के लिए वेब यूजर्स को 650 रुपये और एंड्रॉयड और आईओएस यूजर्स  को 900 रुपये का भुगतान हर महीने करना पड़ता है. ट्विटर के बाद मेटा भी पेड वेरिफिकेशन सर्विस का ऐलान कर चुका है. फिलहाल मेटा की ये सर्विस कुछ ही देशों में उपलब्ध है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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