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होली में ‘तू झूठी मैं मक्कार’ ने बॉक्स ऑफिस पर बोला हल्ला, फिल्म को मिली बंपर शुरुआत

Tu Jhooti Main Makkaar Box Office Collection: हिंदी सिनेमा के मशहूर फिल्ममेकर लव रंजन की फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ होली के मौके पर यानी आज सिनेमाघरों में रिलीज हो गई है. बॉलीवुड सुपरस्टार रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की ‘तू झूठी मैं मक्कार’ (Tu Jhooti Main Makkaar) रिलीज के पहले ही दिन अपना कमाल दिखा रही है. जिसके चलते फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर अच्छी शुरुआत के संकेत मिल चुके हैं. 8 मार्च दोपहर तक 3 बजे तक ‘तू झूठी मैं मक्कार’ के ओपनिंग डे कलेक्शन के अब तक के आंकड़े सामने आ गए हैं. 

‘तू झूठी मैं मक्कार’ को मिली दमदार शुरुआत

मशहूर ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने ‘तू झूठी मैं मक्कार’ के रिलीज के दिन के लेटेस्ट कमाई के आंकड़ों की जानकारी अपने ऑफिशियल  इंस्टाग्राम हैंडल पर दी है. तरण के मुताबिक फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ ने  8 मार्च यानी ओपनिंग डे पर दोपहर करीब 3 बजे तक नेशनल चेन में बॉक्स ऑफिस पर 3.78 करोड़ की कमाई कर ली है. जिसमें पीवीआर में 1.82 करोड़, आईनॉक्स में 1.20 करोड़ और सिनेपोलिस में 75 लाख रुपये के आंकड़े शामिल हैं.  

तरण आदर्श की ओर से शेयर किए गए ‘तू झूठी मैं मक्कार’ के इन कलेक्शन के नंबर्स से ये अनुमान आसानी से लगाया जा सकता है कि रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर स्टारर इस फिल्म को बॉक्स ऑफिस पर धमाकेदार शुरुआत मिलेगी. साथ ही ‘तू झूठी मैं मक्कार’ का पहले दिन की कमाई का आंकड़ा 10 करोड़ के पार जाने की पूरी उम्मीद है. 


‘तू झूठी मैं मक्कार’ को मिले पॉजिटिव रिव्यू
होली के मौके पर सिनेमाघरों में रिलीज होने वाली ‘तू झूठी मैं मक्कार’ को फिल्म क्रिटिक्स की और से पॉजिटिव रिव्यू मिल रहे हैं. दूसरी और ऑडियंस भी इस फिल्म के लिए अच्छा रिस्पॉन्स दे रही है. इससे ये कहा जा सकता है कि रणबीर कपूर और श्रद्धा कपूर की जोड़ी को लोगों ने काफी पसंद किया है. जिसके चलते हो सकता है कि फिल्म ‘तू झूठी मैं मक्कार’ (Tu Jhooti Main Makkaar) फिल्म पठान के बाद इस साल की एक और हिट फिल्म साबित होगी. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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