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Fans Demand Abhira Back Trending On Twitter: टीवी सीरियल रिश्ता क्या कहलाता है को टेलीकास्ट होते हुए 14 साल से ज्यादा का समय बीत गया है। इस सीरियल ने टीवी की दुनिया को कई हिट जोड़ियां दी हैं और अब सीरियल में अक्षरा और अभिमन्यु फैंस के बीच राज कर रहे हैं। प्रणाली राठौड़ (Pranali Rathod) ‘अक्षरा’ बनकर छाई हुई हैं और हर्षद चोपड़ा (Harshad Chopda) ‘अभिमन्यु’ बने हुए हैं। हालांकि, सीरियल में कई सारे ट्विस्ट लाते हुए मेकर्स ने अक्षरा-अभिमन्यु को अलग कर दिया है। कहानी में अक्षरा और अभिमन्यु तलाक ले चुके हैं और अक्षु अभिनव के साथ अपनी नई जिंदगी में खुश है। फैंस आज भी अपने अक्षरा-अभिमन्यु को एक साथ देखना चाहते हैं, जिस वजह से अब फैंस ने ट्विटर पर हंगामा खड़ा कर दिया।

ट्विटर पर छाए अभिमन्यु-अक्षरा

दरअसल, टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है (Yeh Rishta Kya Kehlata Hai) के फैंस काफी समय से अक्षरा और अभिमन्यु को एक करने की डिमांड मेकर्स से कर रहे हैं। सीरियल में जब जय सोनी ने अभिनव शर्मा के किरदार में एंट्री ली थी, तो ऐसा लगा था कि वह अक्षरा-अभिमन्यु को एक करने की कोशिश करेंगे। इतना ही नहीं, जब 6 साल बाद अक्षरा-अभिमन्यु का आमना-सामना हुआ, तब भी ऐसा ही लगा कि मेकर्स अब दोनों को एक कर देंगे। मेकर्स की ऐसी प्लानिंग लग नहीं रही है, जिस वजह से अब ट्विटर पर Fans Demand Abhira Back ट्रेंड कर रहा है। फैंस दोनों को एक साथ देखना चाहते हैं।

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इन दिनों क्या चल रहा है सीरियल में

टीवी सीरियल ये रिश्ता क्या कहलाता है में इन दिनों ढेर सारा इमोशनल ड्रामा देखने के लिए मिल रहा है। सीरियल में अक्षरा और अभिमन्यु के बीच बेटे अबीर के लिए कस्टडी का केस चला और कोर्ट ने अभि के हक में फैसला सुनाया। अब अबीर अभिमन्यु के साथ बिरला हाउस में रह रहा है। इतना ही नहीं, उनसे अपने डॉकमैन को डैडा कहना भी शुरू कर दिया है। हालांकि, अक्षरा ने अभी तक हार नहीं मानी है। वह अपने बेटे के लिए आगे कोर्ट में लड़ने की तैयारियों में जुट गई है।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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