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‘एनिमल’ के लिए रणबीर कपूर ने पहना प्रोस्थेटिक बॉडीसूट, वीडियो देखकर फैंस ने दिया ऐसा रिएक्शन

Animal: संदीप रेड्डी वांगा की ‘एनिमल’ में रणबीर कपूर का एक खूंखार और अलग रूप देखने को मिला है. फिल्म में बाप बेटे के रिश्ते को दिलचस्प लेकिन खतरनाक तरीके से दिखाया गया है.

‘एनिमल’ के लिए रणबीर कपूर ने पहना प्रोस्थेटिक बॉडीसूट

एक्टर ने वास्तव में इस किरदार में ढलने के लिए न केवल सुडौल छाती और सिक्स-पैक एब्स पाने के लिए जिम में कड़ी मेहनत की, बल्कि अपने किरदार को उम्रदराज़ और पॉट-बेलिड लुक दिखाने के लिए प्रोस्थेटिक्स का भी इस्तेमाल किया, जैसा कि सोशल मीडिया पर वायरल वीडियो में पता चला है.

वीडियो देखकर फैंस ने दिया ऐसा रिएक्शन

वायरल हो रहे एक वीडियो में रणबीर कपूर को एनिमल के लिए सुडौल छाती और सिक्स-पैक एब्स पाने के लिए जिम में कड़ी मेहनत करते हुए दिखाया गया है. उसी समय, उन्होंने अपने चरित्र की उम्र बढ़ने को दर्शाने के लिए प्रोस्थेटिक्स का यूज किया.

 

वीडियो में रणबीर कपूर को अपने पेट को भरा हुआ दिखाने के लिए पॉट बेली पहने दिखाया गया है. मनचाहा लुक पाने के लिए वह सिलिकॉन बॉडीसूट का इस्तेमाल करते हैं. सोशल मीडिया पर वीडियो वायरल होने के बाद, अभिनेता के कुछ फैंस ने फिल्म में उनकी तरफ से की गई मेहनत की काफी तारीफ की, जबकि कुछ लोगों ने सवाल उठाया कि प्रोस्थेटिक्स का यूज करने के बजाय उन्होंने स्वाभाविक रूप से वजन क्यों नहीं बढ़ाया.

बता दें कि रणबीर कपूर की फिल्म ‘एनिमल’ 1 दिसंबर को थिएटर्स में रिलीज हुई थी. फिल्म अपनी रिलीज के बाद से ही एक के बाद एक रिकॉर्ड बना रही है और कमाई के मामले में इतिहास रच रही है. फिल्म को रिलीज हुए 8 दिन हो चुके हैं और फिल्म रणबीर कपूर के करियर का टर्निंग पॉइंट साबित होती दिख रही है

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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