भारत

मोदी सरकार ला सकती है गरीबों और बेरोजगारों को हर महीने 1500 रुपए देने की योजना

नोटबंदी का फैसला लागू किए जाने के बाद मोदी सरकार लोगों को बड़ा तोहफा दे सकती है। सरकार एक महत्वाकांक्षी इनकम ट्रांसफर स्कीम लागू करने पर विचार कर रही है, जो कि नेशनल सोशल सिक्योरिटी सिस्टम का आधार बन सकती है। हालांकि इस मुद्दे पर अभी राय बंटी हुई है कि इसे यूनिवर्सल बेसिक इनकम स्कीम बनाया जाए या फिर कुछ लोगों तक सीमित रखी जाए। देश में गरीबी दूर करने को लेकर इस बात पर विचार किया जा रहा है और अगर इस पर कोई फैसला होता है तो वित्त मंत्री अरुण जेटली 1 फरवरी को बजट में इसका ऐलान कर सकते हैं। एक अधिकारी ने इकोनॉमिक टाइम्स को बताया कि इस स्कीम के फायदे और नुकसान पर विचार किया जा रहा है। उनका कहना है कि इस तरह की स्कीम का सही लोगों तक पहुंचाने में समस्या आ सकती है। इसके साथ ही वित्तीय घाटा भी बढ़ता है। उन्होंने कहा कि इस सभी कारकों को ध्यान में रखकर फैसला लिया जाएगा।

अधिकारी ने बताया कि देश के 200 मिलियन (20 करोड़) लोगों को प्रति महीने 1500 रुपए की राशि दिए जाने पर सरकार पर 3 लाख करोड़ का भार पड़ेगा। इसके अलावा संसाधन जुटाना भी जटिल होगा। सरकार वित्तीय वर्ष 2018 तक वित्तीय घाटे को जीडीपी के 3 प्रतिशत तक लाना चाहती है। हालांकि अगर नोटबंदी के फैसले और जीएसटी लागू होने से सरकार को संसाधनों की प्राप्ति होती है तो सरकार इस स्कीम को लॉन्च करने के लिए अच्छी स्थिति में होगी। इस स्कीम के दायरे में ऐसे बेरोजगार लोगों को शामिल करने पर विचार किया जा रहा है, जिनके पास कमाई का कोई साधन नहीं है। साथ ही एक विचार गृहिणियों को भी शामिल करने हो रहा है क्योंकि वह इस स्कीम से मिलने वाले फंड का सही तरह से उपयोग कर सकती है।

क्या है यूनिवर्सल बेसिक इनकम?

यूनिवर्सल बेसिक इनकम, सोशल सिक्योरिटी (सामाजिक सुरक्षा) का रूप है, जिसमें देश में रहने वाले सभी नागरिकों को बिना किसी शर्त के एक फिक्स समय में एक निश्चित पैसे मिलते हैं। यह राशि सरकार या फिर कुछ पब्लिक संस्थाओं द्वारा दी सकती है। गरीबी रेखा से नीचे वाले लोगों को बिना शर्त इनकम ट्रांसफर को एक आंशिक बुनियादी आय के रूप में जाना जाता है।

भारत में पहले भी गया अजमाया

हमने इंदौर के 8 गांवों की 6,000 आबादी के बीच 2010 से 2016 के बीच इस स्कीम का प्रयोग किया। इसमें पुरुष-महिला को 500 और बच्चे को हर महीने 150 रुपये दिए गए। इन पांच सालों में इनमें अधिकतर ने इस स्कीम का लाभ मिलने के बाद अपनी आय बढ़ा दी। दिल्ली में लगभग दो सौ लोगों के बीच प्रयोग सफल रहा।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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