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जब सुहाना खान ने पार्टी में अनुराग कश्यप को कहा- ‘हैलो अंकल…’, ऐसा था डायरेक्टर का रिएक्शन

Anurag Kashyap Suhana Khan: फिल्म निर्माता अनुराग कश्यप की बेटी आलिया ने इस साल की शुरुआत में बाली में अपने बॉयफ्रेंड शेन ग्रेगोइरे से सगाई की थी. इस पार्टी में सुहाना खान, खुशी कपूर, इब्राहिम अली खान, पलक तिवारी, अलाया एफ, अगस्त्य नंदा, अंजिनी धवन और इम्तियाज अली समेत कई सितारों ने शिरकत की थी. 

जब सुहाना खान ने पार्टी में अनुराग कश्यप को कहा- ‘हैलो अंकल…’

अनुराग कश्यप ने किस्से को शेयर करते हुए बताया कि पार्टी में आर्चीज़ की पूरी टीम एक-एक करके अंदर चली गई. मेरी बेटी के सभी दोस्तों ने मुझसे कहा, ‘हैलो अंकल, बधाई हो’. जब उनसे पूछा गया कि क्या सुहाना भी उन्हें अंकल कहती है, तो अनुराग ने कहा, ”हर कोई कह रहा था, ‘हैलो अंकल’. मैंने कहा, ‘ठीक है, आज पार्टी में मुझे अंकल का सर्टिफिकेट मिल गया है. इसलिए मैंने एक हुडी ऑर्डर की जिस पर ‘अंकल’ लिखा हुआ था.

 

अनुराग कश्यप की एक्स वाइफ कल्कि कोचलिन भी अपनी बेटी के साथ इस जश्न में शामिल हुईं. अपने रिश्ते के बारे में बात करते हुए अनुराग ने एक इंटरव्यू में कहा था, ”उनके साथ मेरा मेल-जोल हमेशा अच्छा रहा है. मैं उसके पार्टनर से प्यार करता हूं, वह बहुत अच्छा लड़का है. बीच में जब मेरी तबीयत ठीक नहीं थी तो वह आईं और मेरे लिए कई चीजें बनाईं. वे गोवा में बहुत अच्छा जीवन बिता रहे हैं, वह अपने बच्चे को बहुत समय देती हैं. 

एक्स वाइफ को लेकर अनुराग ने कही ये बात

अनुराग कश्यप ने आगे कहा कि हम अब उस उम्र में पहुंच गए हैं जहां हम उन चीजों के बारे में बात कर सकते हैं जिनके बारे में हम पहले कभी बात नहीं कर पाते थे. वह मेरी बेटी की सगाई में अपने पार्टनर और अपनी बेटी सप्पो के साथ आई थी. 

अगले हफ्ते अनुराग की फिल्म ‘हड्डी’ ओटीटी पर रिलीज के लिए तैयार

वर्कफ्रंट की बात करें तो अनुराग कश्यप की फिल्म ‘हड्डी’ रिलीज होने वाली है. फिल्म में अनुराग की टक्कर नवाजुद्दीन सिद्दीकी के ट्रांसजेंडर किरदार से होगी, जो अगले हफ्ते ओटीटी रिलीज के लिए तैयार है.

 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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