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धोखाधडी कर सूर्यांश ग्रुप की करीब तीस करोड़ रूपए की कीमत की जमीन बेच दी

सूर्याश ग्रुप की ३० करोड़ की जमीन धोखे से बेची गई। ग्रुप डयरेक्टर ने गाज़ियाबाद और दिल्ली के चार लोगों को किया नामजद। कटघर थाने में मामला दर्ज़।

मुरादाबाद : दिल्ली निवासी सूर्याश ग्रुप की डयरेक्टर अंजलि भरद्वाज ने कटघर थाने में धोखाधडी का केस दर्ज़ कराया है।  इसमें गाज़ियाबाद और दिल्ली निवासी चार लोग आरोपी हैं।  अंजलि के अनुसार आरोपियों ने धोखाधडी कर सूर्याश ग्रुप के करीब तीस करोड़ रूपए की कीमत की जमीन बेच दी है और रकम हड़पली है।  इस मामले में शिकायत पर कटघर पुलिस ने केस दर्जकर जांच शुरू कर दी है।  रिपोर्ट दर्ज़ कराने वाली सूर्याश ग्रुप की डयरेक्टर ने इस मामले में एक वीडियो जारी कर घटना की जानकारी दी है।

नई दिल्ली के पंचशील एनक्लेब निवासी अंजलि भरद्वाज ने बीते दिनों डीआई, एसएसपी समेत अन्य पुलिस अधिकारीयों को तहरीर के आधार पर गाज़ियाबाद के राजनगर निवासी संजय कुमार मित्तल बेटा परितोष मित्तल, उनकी पत्नी बीना मित्तल और दिल्ली के माल रोड निवासी उसके एसोसिएट भगतराज शर्मा के खिलाफ धोखाधडी समेत अन्य गंभीर धाराओं में केस दर्ज़ किया है।  दर्ज़ कराई गई रिपोर्ट में उन्होंने बताया की अपने बेटे सूर्यांश के नाम से उनहोंने ग्रुप बना रखा है।  उनकी कंपनी मुरादाबाद के कटघर थाना क्षेत्र में स्कूल, अस्पताल और होटल चला रही है।  जिसमे से स्कूल को कुछ साल पहले लीज पर दे दिया है।  अंजलि के बताये अनुसार आरोपी संजय मित्तल ने खुद को सूर्यांश ग्रुप का चैयरमेन बताया और कंपनी का शेयर होल्डर बताकर करोड़ों रुपए की जमीन बेच दी है।  अंजलि ने आरोप लगाया की धोखाधड़ी और फर्जीवाड़ा करके आरोपी संजय, पारितोष, बीना, और भगतराज शर्मा ने उनके ग्रुप की करीब तीस करोड़ रुपए की कीमत की जमीन बेचने की कोशिश कर रहे हैं।  इस संबंध में एसएचओ कटघर आरपी शर्मा ने बताया की अंजलि की तहरीर के आधार पर चार आरोपियों  के खिलाफ धोखाधडी समेत अन्य धाराओं में मुकद्दमा दर्ज़ किया गया है।

आगे की जांच कटघर पुलिस थाने कर रही है और बहुत जल्द हक़ीक़त का पर्दाफाश कर आरोपियों के खिलाफ सख्त करवाई  की जाएगी।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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