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क्या लोगों का पर्सनल डेटा चुरा रही रियलमी? कंपनी ने तमाम सवालों का दिया जवाब

Enhanced Intelligent Services: रियलमी (Realme) पर एक ट्विटर यूजर ने ये आरोप लगाया था कि कंपनी उनका पर्सनल डेटा ट्रैक करती है. जैसे ही इस ट्वीट को केंद्रीय इलेक्ट्रॉनिक्स और प्रौद्योगिकी मंत्री ने देखा तो उन्होंने इसके जांच के आदेश दिए थे. इसके बाद से ट्विटर पर तमाम यूजर रियलमी पर डेटा चोरी करने का आरोप लगा रहे हैं. कुछ का कहना है कि डेटा चाइना ट्रांसफर हो रहा है क्योकि ये चाइनीज कंपनी है. यूजर्स तमाम तरह के आरोप रियल मी पर लगा रहे हैं. जिन लोगों को नहीं पता कि किस फीचर के बार में बात हो रही है तो दरअसल, ये Enhanced Intelligent Services नाम का एक फीचर है जो रियल मी के फोन में डिफ़ॉल्ट रूप से ऑन रहता है. ये सुविधा रियलमी यूआई 4.0 पर उपलब्ध है जो वर्तमान में अधिकांश रियलमी स्मार्टफोन मॉडल पर चल रही है. 

कंपनी ने दिया जवाब 

रियलमी के द्वारा 91 मोबाइल्स को दिए गए तमाम सवालों के जवाब में कहा गया कि कंपनी अपने यूजर्स की गोपनीयता और सुरक्षा को सबसे ज्यादा इम्पोर्टेंस देती है. कंपनी ने कहा कि Enhanced Intelligent Services फीचर डिवाइस के उपयोग को अनुकूलित करने से जुड़ा है ताकि ये सुनिश्चित किया जा सके कि यूजर को बेहतर बैटरी लाइफ और टेम्परेचर प्रदर्शन मिले. रियल मी ने कहा कि कंपनी यूजर्स के एसएमएस, फोन कॉल, शेड्यूल आदि पर कोई डेटा एकत्र नहीं करती है.

कंपनी ने आगे कहा कि जो भी डेटा मोबाइल फोन कलेक्ट करता है वह एन्क्रिप्टेड होता है और एंड्रॉइड सिक्योरिटी मैकेनिज्म के तहत ये यूजर के ही स्मार्टफोन में सेव रहता है और इसे कंपनी एक्सेस नहीं कर सकती और न ही ये किसी क्लाउड में अपलोड होता है. इसके साथ ही कंपनी ने कहा कि हम यूजर प्राइवेसी प्रोटेक्शन पर काफी जोर देते हैं,  Enhanced Intelligent Services फीचर यूजर्स की जरूरतों के आधार पर मैन्युअल रूप से चालू या बंद किया जा सकता है.

यानि कुल मिलकर ये फीचर ऑन रहने से आपका डेटा कहीं ट्रांसफर नहीं होता है और वह मोबाइल में ही सेव रहता है ताकि आपका मोबाइल एक्सपीरियंस बेहतर हो सके.  

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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