टैकनोलजी

GPS के एक दिन की ऑपरेशन कॉस्ट जानकर उड़ जाएंगे आपके होश, इतनी है कीमत?

GPS operation cost: GPS यानि ग्लोबल पोजिशनिंग सिस्टम, ये एक सैटेलाइट बेस्ड रेडियो नेविगेशन सिस्टम है जिसकी मदद से हम दूसरे देश की टाइमिंग, वेदर, लोकेशन आदि कई चीजें जान पाते हैं. GPS की मदद से ही हम स्मार्टफोन में लोकेशन सर्विस को एक्सेस कर पाते हैं. आप सभी गूगल मैप का इस्तेमाल जरूर करते होंगे. किसी को लोकेशन शेयर करनी हो, कहीं जाना हो, अपना टाइम जोन बताना हो तो इन सभी चीजों में जीपीएस हमारी मदद करता है. लेकिन क्या आप जानते है कि जीपीएस को ऑपरेट करने की एक दिन की लागत क्या है? यानि इसके देख-रेख आदि में कितना पैसा एक दिन में खर्च होता है? अगर नहीं, तो हम आपको बताएंगे.

एक दिन की कीमत है इतनी

जीपीएस को ऑपरेट करने की एक दिन की कीमत 2 मिलियन डॉलर से भी ज्यादा है. यानि इसके देख-रेख में हर दिन करीब 16 करोड़ रुपये से ज्यादा पैसे खर्च होते हैं. इतने में आप 5 Range Rover गाड़ियां खरीद सकते हैं. वहीं एनुअल कॉस्ट की बात करें तो ये करीब 750 मिलियन डॉलर से ज्यादा है. जीपीएस  यूनाइटेड स्टेट गवर्नमेंट के अंडर है और इसे यूनाइटेड स्टेट स्पेस फोर्स द्वारा ऑपरेट किया जाता है.

जीपीएस का इस्तेमाल एग्रीकल्चर, डिफेंस, साइंस आदि कई क्षेत्रों में किया जाता है. अगर आप सोच रहे हैं कि जीपीएस के लिए भुगतान कौन करता है तो दरअसल, अमेरिकी टैक्स पेयर जीपीएस के लिए हर साल भुगतान करते हैं. US टैक्स रेवेन्यू से ही जीपीएस की पेमेंट होती है.

ट्विटर को मिली नई सीईओ 

सोशल मीडिया कंपनी ट्विटर को नई सीईओ मिल चुकी हैं. एलन मस्क ने लिंडा याकारिनो को कंपनी का नया सीईओ घोषित किया है. लिंडा ट्विटर की छठी सीईओ हैं. उनसे पहले मस्क, पराग अग्रवाल समेत अन्य लोगों ने इस पद की जिम्मेदारी संभाली है. लिंडा याकारिनो इससे पहले NBC यूनिवर्सल के साथ थी जो जल्द आधिकारिक तौर पर ट्विटर का काम-काज संभालेंगी. 

News Reels

यह भी पढ़ेंं: Google Pixel Fold vs Galaxy Z Fold 4: आपके लिए कौन-सा है बेस्ट? यहां जानिए 

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button