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iPhone में स्पाइवेयर का अलर्ट, पेगासस सुन सकता है आपकी बातचीत, बचने के लिए करें ये काम

iPhone Spyware Alert : कुछ महीने पहले भारत में पेगासस से जासूसी का मामला छाया हुआ था, जिसको लेकर संसद से लेकर न्यूज रूम तक में राजनीतिक पार्टियों के बीच काफी वाद-विवाद हुआ था. ठीक ऐसा ही मामला अब आईफोन के साथ सामने आ रहा है, जिसमें दावा किया जा रहा है कि आईफोन में पेगासस स्पाइवेयर सॉफ्टवेयर इंस्टॉल हो रहा है, जो यूजर्स की जासूसी कर रहा है.  

आपको बता दें आईफोन में पेगासस की जानकारी यूनिवर्सिटी ऑफ टोरंटो में मौजूद सायबर रिसर्च टीम सिटीजन लैब ने दी है, इसके साथ ही सिटीजन लैब ने आईफोन और एप्पल डिवाइस के यूजर्स को चेतावनी जारी करते हुए कहा है कि वे सभी अपने फोन और अन्य डिवाइस को तुरंत अपडेट कर लें.

कैसे चला पेगासस के बारे में पता

सिटीजन लैब ने एक्स पर लिखी अपनी पोस्ट में बताया कि पिछले सप्ताह अमेरिका की राजधानी वाशिंगटन डीसी में एक व्यक्ति की डिवाइस की जांच करते समय सिटीजन लैब ने पाया की डिवाइस में जीरो-क्लिक वल्नरेबिलिटी का इस्तेमाल करके NSO समूह के द्वारा पेगासस स्पाइवेयर डिलीवर किया जा रहा है. 

 
कैसे स्पाइवेयर कर रहा है जासूसी

सिटिजन लैब ने इस स्पाईवेयर को BLASTPASS कहा, जो लेटेस्ट वर्जन iOS (16.6) पर चलने वाले आईफोन को बिना यूजर्स के पता चले नुकसान पहुंचा सकता है, मतलब यूजर्स का फोन हैक हो जाएगा और उसे खबर तक नहीं होगी. सिटिजन लैब ने एप्पल को इस मैलवेयर की जानकारी दी, एप्पल ने तुरंत ही इसे फिक्स करने के लिए स्पेशल अपडेट जारी किए. ये अपडेट आईफोन, आईपैड, मैक कंप्यूटर्स और स्मार्टवॉच समेत सभी प्रोडक्ट्स के लिए हैं.

कैसे करें स्पाइवेयर से बचाव

एप्पल ने अपने यूजर्स को चेतावनी देते हुए अपने आईफोन, आईपैड, मैक बुक और एप्पल वॉच को तुरंत अपडेट करने की सलाह दी है. साथ ही सिटीजन लैब ने एप्पल के इस तत्काल एक्शन की सराहना की है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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