टैकनोलजी

एलन मस्क की खरी-खरी, ब्रांड्स से कहा- X पर 1000 डॉलर मंथली दो नहीं तो गोल्ड टिक भूल जाओ

टि्वटर (Twitter) पर अब किसी भी ब्रांड को अपने अकाउंट पर गोल्ड टिक के लिए कम से कम 1000 रुपये मंथली फीस चुकाना होगा. एलन मस्क (Elon Musk) के लीडरशिप वाले टि्वटर ने स्पष्ट कर दिया है कि अगर ब्रांड हर महीने इतने का सब्सक्रिप्शन ब्रांड्स नहीं देंगे तो उनको गोल्ड टिक भूल जाना पड़ेगा. द वर्ज की रिपोर्ट के मुताबिक, 7 अगस्त से, जिन विज्ञापनदाताओं ने निश्चित खर्च लिमिट पूरी नहीं की हैं, वे अपना आधिकारिक ब्रांड अकाउंट वेरिफिकेशन खो देंगे. आईएएनएस की खबर के मुताबिक, खबर सबसे पहले वॉल स्ट्रीट जर्नल ने प्रकाशित की थी.

घोटालेबाजों की संख्या घटाने का उपाय

रिपोर्ट के मुताबिक, इंगित करने वाले गोल्ड चेकमार्क को बनाए रखने के लिए कि अकाउंट एक वेरिफाइड ब्रांड का है, इसके लिए ब्रांडों ने पिछले 30 दिनों में विज्ञापनों पर कम से कम 1,000 डॉलर या पिछले 180 दिनों में $6,000 खर्च किए होंगे. मस्क (Elon Musk) ने कहा कि मामूली ज्यादा शुल्क लागू होने से प्लेटफ़ॉर्म पर लाखों अकाउंट्स बनाने वाले घोटालेबाजों की संख्या को कम करने में मदद करने के लिए एक उपाय है.

ट्विटर खतरे में है

जुलाई के शुरुआत में एलन मस्क ने कहा था कि विज्ञापन राजस्व में 50 प्रतिशत की भारी गिरावट और पीछे के भारी कर्ज के बाद भी ट्विटर (Twitter) खतरे में है. उन्होंने कहा कि विज्ञापन राजस्व में 50 प्रतिशत की गिरावट और भारी कर्ज भार के चलते, हम अभी भी निगेटिव कैश फ्लो में हैं. हमें पॉजिटिव कैश फ्लो तक पहुंचने की जरूरत है.

अक्टूबर 2022 में ट्विटर का किया था अधिग्रहण

टेस्ला और स्पेसएक्स के सीईओ एलन मस्क (Elon Musk) ने पिछले साल अक्टूबर में ट्विटर का 44 बिलियन डॉलर में अधिग्रहण कर लिया था, जिसमें लगभग 13 बिलियन डॉलर का कर्ज भी शामिल था. अप्रैल में, मस्क ने बीबीसी को बताया कि लगभग सभी विज्ञापनदाताओं ने ट्विटर पर विज्ञापन खरीदना फिर से शुरू कर दिया है.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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