टैकनोलजी

Twitter Rule: एलन मस्क का फैसला, ऐसे ट्वीट्स को लेकर उठाया बड़ा कदम, इनकी घटेगी विजिबिलिटी

Twitter Rule: ट्विटर ने मंगलवार को कहा कि उसने उन ट्वीट्स पर लेबल लगाना शुरू कर दिया है, जिन्हें उसके नियमों का उल्लंघन करने के लिए फ्लैग किया गया है, ताकि प्लेटफॉर्म पर उनकी विजिबिलिटी कम हो सके. माइक्रो-ब्लॉगिंग प्लेटफॉर्म ने पिछले हफ्ते कहा था कि वह अपनी पॉलिसी का उल्लंघन करने वाले दुर्भावनापूर्ण ट्वीट्स पर लेबल लगाएगा.

ट्विटर पर ट्रांसपेरेंसी बढ़ाने की एलन मस्क की कवायद

ट्विटर ने कहा, “सेंसरशिप. शैडोबैनिंग. बोलने की स्वतंत्रता, पहुंच नहीं. हमारे नए लेबल अब लाइव हैं.” ट्विटर ने पहले कहा था कि वह ट्वीट्स पर होने वाली प्रवर्तन कार्रवाइयों में अधिक पारदर्शिता जोड़ रहा है. दरअसल ये कदम ट्विटर की पारदर्शिता बढ़ाने की कवायद के रूप में उठाया जा रहा है.

ट्विटर यूजर्स के अकाउंट पर क्या होगा असर

“पहले कदम के रूप में, जल्द ही आप कुछ ट्वीट्स पर लेबल देखना शुरू कर देंगे, जो संभावित रूप से घृणित आचरण के आसपास हमारे नियमों का उल्लंघन करते हुए पहचाने जाते हैं, आपको बताते हैं कि हमने उनकी विजिबिलिटी को लिमिटेड कर दिया है.” ये कार्रवाइयां केवल ट्वीट के स्तर पर की जाएंगी और किसी यूजर्स के खाते को प्रभावित नहीं करेंगी.

ट्वीट लिखने वाले भी दे सकेंगे रिएक्शन

कंपनी ने कहा कि ट्वीट्स की पहुंच को प्रतिबंधित करने से बायनरी ‘लीव अप बनाम टेक डाउन’ कंटेंट मॉडरेशन के फैसले को कम करने में मदद मिलती है जो हमारे भाषण की स्वतंत्रता बनाम पहुंच की स्वतंत्रता का समर्थन करता है. कंपनी ने कहा कि यह कभी-कभी गलत हो सकता है, इसलिए लेखक लेबल पर प्रतिक्रिया देने में सक्षम होंगे यदि उन्हें लगता है कि हमने उनके कंटेंट की विजिबिलिटी को गलत तरीके से सीमित कर दिया है. कंपनी ने कहा, “भविष्य में, हम लेखकों को ट्वीट की विजिबिलिटी को सीमित करने के हमारे फैसले की अपील करने की अनुमति देने की योजना बना रहे हैं.”

ये भी पढ़ें

SEBI का बड़ा फैसला, ग्राहकों के पैसे से नई बैंक गारंटी नहीं ले पाएंगे शेयर ब्रोकर, जानें कब से लागू होगा नियम

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

Back to top button