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सालों बाद खत्म हुई कृष्णा अभिषेक-गोविंदा की लड़ाई? एक साथ किया मामा-भांजे ने डांस

Krushna Abhishek Video: कॉमेडियन-एक्टर कृष्णा अभिषेक एक बार फिर अपने मामा गोविंदा संग कोल्ड-वॉर को लेकर हमेशा ही चर्चा में रहे हैं. वहीं एक बार फिर इस मुद्द् को लेकर वह खबरों में आ गए हैं. मामा-भतीजे के बीच हुई अनबन के बारे में सभी जानते हैं. वहीं अब दोनों के बीच रिश्ते सुधरते हुए दिखाई दे रहे हैं. इस बात का हिंट खुद कृष्णा अभिषेक ने सोशल मीडिया पर दिया है. 

कृष्णा अभिषेक ने मामा संग शेयर किया वीडियो
दरअसल, कृष्णा ने अपने इंस्टाग्राम अकाउंट पर एक वीडियो शेयर किया है, जो अब चर्चा का विषय बन चुका है. यह एक थ्रोबैक वीडियो है, जिसमें मामा-भतीजा गोविंदा के हिट गाने छोटे मियां-बड़े मियां पर धामकेदार डांस करते हुए दिखाई दे रहे हैं. वहीं  इस वीडियो पर कमेंट्स की बाढ आ गई है.


गोविंदा को बताया अपना इंस्पिरेशन 
वहीं इस वीडियो को शेयर करते हुए कृष्णा ने कैप्शन में लिखा है कि ‘इससे बेहतर वीडियो नहीं हो सकता स्टेज पर फायर मामा हमेशा एक इंस्पिरेशन रहे हैं. रियल बड़े मिया छोटे मिया…’

7 साल पुरानी है लड़ाई है
बता दें कि मामा-भांजा के बीच की ये लड़ाई 7 साल पुरानी है. हांलाकि, कृष्णा ने कई बार आपस के इस मतभेज को मिटाने की कोशिश भी की है और माफी भी मांगी है. कृष्णा का कहना है कि उनके बयान को अक्सर तोड़-मरोड़कर पेश किया जाता है. लेकिन शायद गोविंद उनसे दूरा बनाना ही बेहतर समझ रहे हैं. वह किसी भी हाल में अपने भांजे को माफ करने के मूड में नहीं हैं. बता दें कि जब कपिल शर्मा के शो पर गोविंदा और उनकी पत्नी बतौर गेस्ट आए थे, तब कृष्णा अभिषेक उस एपिसोड से नदारद थे. 

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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