अंधविश्वास पर सुप्रीम कोर्ट का पड़ा हथौड़ा : 800 साल पुरानी प्रथा को किया खत्म!

नई दिल्ली : सुप्रीम कोर्ट ने सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश करने पर लगी हुई पाबंदी को खत्म कर दिया है। दक्षिण भारत के इस प्रसिद्ध मंदिर में अब पचास वर्ष से कम उम्र की महिलाओं को प्रवेश मिल सकेगा।
सबरीमाला मंदिर में महिलाओं के प्रवेश पर फैसला सुनाते हुए सीजेआइ दीपक मिश्रा ने कहा कि धर्म एक है, गरिमा और पहचान भी एक हैं। अय्यप्पा कुछ अलग नहीं हैं, जो नियम जैविक और शारीरिक प्रक्रियाओं के आधार पर बने हैं। वे संवैधानिक परीक्षा में पास नहीं हो सकते। क्योंकि सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला 4-1 के बहुमत से आया है। जस्टिस इंदु मल्होत्रा ने अलग फैसला दिया है।
इस 800 साल पुरानी अन्धविशवासी प्रथा पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और अब इस प्रथा को ख़त्म कर दिया गया है। सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले से यह भी तय हुआ है कि अब सबरीमाला मंदिर में महिलाएं बिना किसी रूकावट के भगवान अयप्पा के दर्शन कर सकती हैं।
अधिकार-समानता श्रेष्ठ है या मंदिर की प्रथा इस बात पर सुप्रीम कोर्ट ने अपना रूख सुनवाई के दौरान ही साफ कर दिया था। अदालत ने कहा था कि मंदिर में महिलाओं के प्रवेश के बारे में कोई कानून नहीं होने के बावजूद इस मामले में उनके साथ भेदभाव नहीं किया जा सकता है।