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प्रैस विज्ञप्ति – अन्ना जी के रालेगण सिद्धि मे अनिश्चितकालीन अनशन को समर्थन देने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर कार्यकर्ताओ

30 जनवरी से हो रहें अन्ना जी के रालेगण सिद्धि मे अनिश्चितकालीन अनशन को समर्थन देने के लिए दिल्ली के जंतर मंतर पर अन्ना कार्यकर्ताओ का अनिश्चितकालीन धरना प्रदर्शन व अन्दोलन आज 30- जनवरी – 2019 दिल्ली के जन्तर मन्तर पर अन्ना जी के भ्रष्टाचार विरोधी जन – आंदोलन न्यास के बेनर तले अन्ना जी के कार्यकर्ताओ ने अन्ना जी के अन्दोलन की दो प्रमुख मांगो को लागू करने के लिये अनशन व धरना – प्रदर्शन किया ।

अन्ना जी की 2 प्रमुख मांगे इस प्रकार से है –

(1) देश मे सशक्त जनलोकपाल कानून लागू हों व अमल मे लाए जाए।

(2)सम्पूर्ण भारत के किसानो का कर्जा माफ करे केन्द्र सरकार ।

जिसमे अन्ना जी के दिल्ली से प्रमुख कार्यकर्ता अनुज शर्मा ने अनशन किया और उत्तराखंड के हल्द्वानी से अन्ना जी के कोर टीम के सदस्य रहे – सुशील भट्ट जी ने धरना प्रदर्शन किया व राजस्थान के जयपुर से हमारे भाई राजीव शर्मा जी और बॉलीवुड गीतकार – संगीतकार व प्रसिद्ध गायक रहे – श्री रविन्द्र जैन जी भाई श्री दिगंबर जैन महासमिति व अखिल भारतवर्षीय जैसवाल जैन महासभा के राष्ट्रीय अध्यक्ष – आदरणीय श्री मणीन्द्र जैन ने भी हमारे अन्ना हजारे के अन्दोलन को समर्थन दिया। व अन्ना जी के हरियाणा से अनिल प्रधान जी अन्दोलन मे भाग लिया। व दिल्ली के हमारे जुक्षारु सिपाही अनिल मिश्रा जी ने साथ दिया । हरियाणा से राजेन्द्र जी ने अन्ना जी के अन्दोलन मे साथ दिया। दिल्ली के ड्राईवर यूनियन के अध्यक्ष – कमलजीत गिल जी ने अपने साथियों के साथ पहुचकर उत्साह बढाया । व दिल्ली की औटो यूनियन से रमेश गुप्ता जी ने अन्ना जी के आन्दोलन मे हिस्सा लिया व अन्ना जी के अन्य कार्यकर्ताओ ने अन्दोलन मे योगदान दिया ।

Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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