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जिओ-एयरटेल से जुड़े 48 लाख लोग, वोडाफोन-आइडिया की हालत खस्ता, छोड़कर गए 7.5 लाख यूजर्स

Telecom Sector: भारतीय टेलीकॉम बाजार में जिओ (Jio) और एयरटेल (Airtel) की बादशाहत और मजबूत होती चली जा रही है. उधर, वोडाफोन-आइडिया (VI) का संकट कम होने का नाम ही नहीं ले रहा. जिओ और एयरटेल ने सितंबर में लगभग 48 लाख नए मोबाइल ग्राहक अपने साथ जोड़े हैं वहीं, वोडाफोन-आइडिया ने इसी अवधि में 13.2 लाख ग्राहक खोए हैं. इसके चलते वी की परेशानियां बढ़ती ही जा रही हैं.

जिओ के उपभोक्ताओं की संख्या 45 करोड़ के नजदीक 

टेलिकॉम रेगुलेटरी अथॉरिटी ऑफ इंडिया (TRAI) द्वारा जारी आंकड़ों के अनुसार सितंबर में रिलायंस के स्वामित्व वाली जिओ ने 34.7 लाख नए मोबाइल उपभोक्ता जोड़े इसके साथ ही मुकेश अंबानी की यह कंपनी टेलिकॉम बाजार में अपनी पकड़ और मजबूत करती जा रही है. सितंबर के कंपनी के कुल उपभोक्ताओं की संख्या 44.92 करोड़ हो गई है. 

एयरटेल से जुड़े 13.2 लाख मोबाइल उपभोक्ता

इसके बाद दूसरे नंबर पर एयरटेल रही. इसने समान अवधि में 13.2 लाख मोबाइल उपभोक्ता अपने साथ जोड़े इसके साथ ही कंपनी के कुल मोबाइल उपभोक्ता 37.77 करोड़ हो गए हैं. एयरटेल भारतीय टेलीकॉम मार्केट की नंबर दो कंपनी बनी हुई है. हालांकि, उसके और जिओ के बीच का अंतर बढ़ता ही जा रहा है.  

वोडाफोन आइडिया को झेलना पड़ा नुकसान

ट्राई (Telecom Regulatory Authority of India) के आंकड़ों के मुताबिक, इस अवधि में वोडाफोन आइडिया को नुकसान झेलना पड़ा है. कंपनी ने सितंबर महीने में 7.5 लाख उपभोक्ता खोए हैं. अब कंपनी के पास 22.75 करोड़ मोबाइल यूजर्स ही बचे हैं.

कर्ज के जाल में फंसी है कंपनी 

कर्ज में फंसी कंपनी पिछले काफी समय से निवेशकों को जुटाने के प्रयास में लगी हुई है. मगर, उसे सफलता नहीं मिल पा रही है. इसके चलते कंपनी के कारोबार पर बुरा असर पड़ रहा है. इस वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में कंपनी का घाटा बढ़कर 8,737.9 करोड़ रुपये हो गया था. वीआईएल ने शेयर बाजार को दी गई जानकारी में बताया था कि एक साल पहले की समान अवधि में उसे 7,595.5 करोड़ रुपये का नेट लॉस हुआ था. अब कंपनी का घाटा बढ़ गया है जबकि रेवेन्यू स्थिर बना हुआ है. परिचालन से होने वाला राजस्व जुलाई-सितंबर तिमाही में 10,716.3 करोड़ रुपये पर लगभग स्थिर रहा था.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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