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परिणीति-राघव की शादी से पहले दिल्ली में सूफी नाइट की सजी महफिल, शिरकत करने पहुंचे मेहमान

Parineeti-Raghav Wedding: परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा की शादी से पहले प्री-वेडिंग फंक्शन्स शुरू हो चुके हैं. कपल के शादी के पहले की रस्में दिल्ली में की जा रही हैं. आज कपल की सूफी नाइट की महफिल सजी है जहां बॉलीवुड और राजनीति से जुड़े दिग्गजों का जमावड़ा लगा है. प्रियंका चोपड़ा की मां मधु चोपड़ा, उनके भाई सिद्धार्थ, राज्यसभा सदस्य और खिलाड़ी हरभजन सिंह जैसे कई मेहमान महफिल का हिस्सा बने हैं.

20 सितंबर को परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा की शादी से पहले दूल्हे के दिल्ली वाले घर पर एक सूफी नाइट का आयोजन किया गया. इस इवेंट के लिए राघव का घर खूबसूरत तरीके से सजाया गया है. परिणीति की मौसी और एक्ट्रेस प्रियंका चोपड़ा की मधु चोपड़ा महफिल में शिरकत करने पहुंची. उनके साथ उनके बेटे सिद्धार्थ चोपड़ा भी मौजूद रहे. 

इस लुक में पहुंचे एक्ट्रेस की मौसी और भाई
अपनी भांजी परिणीति चोपड़ा के खास फंक्शन में मधु चोपड़ा व्हाइट फ्लोरल प्रिंटेड सूट पहने दिखाई दीं. वहीं भाई सिद्धार्थ ने स्टाइलिश ब्लैक इंडो-वेस्टर्न सूट में नजर आए. दोनों ने पैपराजी को पोज भी दिए. इसके अलावा परिणीति-राघव की सूफी नाइट में परिणीति और राघव के डिजाइनर पवन सचदेवा और राज्यसभा सांसद हरभजन सिंह भी पहुंचे. 

24 सितंबर को एक-दूजे के हो जाएंगे राघव-परिणीति
बता दें कि परिणीति चोपड़ा और राघव चड्ढा ने इसी साल 13 मई को दिल्ली के कपूरथला हाउस में एक प्राइवेट सेरेमनी में सगाई की थी. अब कपल उदयपुर के होटल लीला पैलेस में सात फेरे लेने के लिए तैयार है. दोनों 24 सितंबर को पंजाबी रीति-रिवाजों से शादी के बंधन में बंधेंगे. खबर है कि राघव चड्ढा बोट पर अपनी दुल्हनिया की बारात लेने जाएंगे. वहीं 30 सितंबर को राघव-परिणीति का वेडिंग रिसेप्शन होगा.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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