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होली पर अपने फोन को पानी से ऐसे बचाएं

How to protect Smartphone in Holi: आज से महज कुछ दिन बाद देशभर में होली का त्यौहार मनाया जाएगा. होली पर लोग एक दूसरे को रंग और पानी से भिगोते हैं और जमकर नाच कूद करते हैं. बच्चे तो मकानों से रोड पर चल रहे व्यक्ति पर गुब्बारे फेंकते हैं और बाल्टी दर बाल्टी पानी बरसाते हैं. होली का त्यौहार वैसे तो खुशियों से भरा होता है लेकिन कई लोगों के लिए ये नुकसान भरा बन जाता है. नुकसान इसलिए क्योंकि कई लोगों का स्मार्टफोन इस त्यौहार के दौरान खराब हो जाता है क्योंकि उसमें या तो पानी या रंग चले जाता है. ऐसे में आज इस लेख के माध्यम से हम आपको कुछ टिप्स बताने वाले हैं जिनकी मदद से आप होली पर अपने फोन का बचाव कर सकते हैं.

खरीद सकते हैं वाटरप्रूफ कवर

बाजार में इन दिनों स्मार्टफोन को पानी से बचाने के लिए वॉटरप्रूफ कवर आते हैं. ये आसानी से आपको मिल जाएंगे और इनकी कीमत भी ज्यादा नहीं है. इन कवर के अंदर आप अपना स्मार्टफोन रख सकते हैं ताकि ये पानी के संपर्क में न आए और कलर से भी बच रहे. 

स्क्रीन गार्ड और नॉर्मल कवर जरूर लगाएं

अपने फोन का बचाव करने के लिए इसपर स्क्रीन गार्ड और नॉर्मल मोबाइल कवर जरूर लगाएं क्योंकि होली के दिन और इससे कुछ दिन पहले हर कोई एक दूसरे को रंग लगाते फिरता है. ऐसे में जब भी आप अपने स्मार्टफोन को कॉल या मैसेज के लिए उठाएंगे तो इससे फोन पर कलर लग सकता है जो मोबाइल की डिस्प्ले या बॉडी को खराब कर सकता है.

ब्लूटूथ का करें इस्तेमाल

अगर आप एक ऐसे व्यक्ति हैं जिसे लगातार फोन पर बातचीत करनी पड़ती है तो आप होली के दिन एक ब्लूटूथ अपने साथ रखें ताकि आपको बार-बार मोबाइल फोन न निकालना पड़े. ब्लूटूथ डिवाइस से आप आसानी से कॉल उठा और जरूरत पड़ने पर काट सकते हैं.

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वाटरप्रूफ बैग

मोबाइल फोन को सुरक्षित रखने के लिए आप वाटर प्रूफ बैग या पाउच का इस्तेमाल भी कर सकते हैं. अगर आप किसी बड़े फंक्शन में जा रहे हैं तो फैमिली के सभी फोन आप वाटरप्रूफ बैग में आसानी से रख सकते हैं.

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Aslam Khan

हर बड़े सफर की शुरुआत छोटे कदम से होती है। 14 फरवरी 2004 को शुरू हुआ श्रेष्ठ भारतीय टाइम्स का सफर लगातार जारी है। हम सफलता से ज्यादा सार्थकता में विश्वास करते हैं। दिनकर ने लिखा था-'जो तटस्थ हैं समय लिखेगा उनका भी अपराध।' कबीर ने सिखाया - 'न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर'। इन्हें ही मूलमंत्र मानते हुए हम अपने समय में हस्तक्षेप करते हैं। सच कहने के खतरे हम उठाते हैं। उत्तरप्रदेश से लेकर दिल्ली तक में निजाम बदले मगर हमारी नीयत और सोच नहीं। हम देश, प्रदेश और दुनिया के अंतिम जन जो वंचित, उपेक्षित और शोषित है, उसकी आवाज बनने में ही अपनी सार्थकता समझते हैं। दरअसल हम सत्ता नहीं सच के साथ हैं वह सच किसी के खिलाफ ही क्यों न हो ? ✍असलम खान मुख्य संपादक

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